India News (इंडिया न्यूज), MP News: मध्य प्रदेश के कटनी जिले के बहोरीबंद ओपन कैप में धर्मकांटे से छेड़छाड़ का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां धान के परिवहन के दौरान ट्रक का वजन जानबूझकर बढ़ाकर दिखाया जा रहा था। वायरल हुई एक फोटो ने इस घोटाले को उजागर किया, जिसके बाद कटनी कलेक्टर दिलीप कुमार यादव ने तुरंत संज्ञान लेते हुए चार विभागों की संयुक्त जांच टीम को मौके पर भेजा।
कैसे चल रहा था खेल?
धर्मकांटे पर स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (SWC) के कर्मचारी ट्रकों के वजन में हेरफेर कर रहे थे। खाली ट्रक को वजन कराने के दौरान 20-20 किलो के दो बांट और दो लोग ट्रक में रख दिए जाते थे, जिससे वजन 2 से ढाई क्विंटल ज्यादा दिखाया जाता था। ट्रक चालकों से यह हेरफेर करवाकर बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा था।
अमित शाह ने जारी किया भाजपा का संकल्प पत्र-3, जानें दिल्ली फतह के लिए जनता से किए क्या-क्या वायदे
फोटो ने खोली पोल
इस घोटाले की जानकारी तब सामने आई जब एक फोटो वायरल हुई, जिसमें ट्रक के साथ अतिरिक्त वजन रखने की प्रक्रिया साफ नजर आई। जांच टीम जब मौके पर पहुंची, तो पाया गया कि धर्मकांटे का संचालन SWC के कर्मचारी कर रहे थे, लेकिन इस धांधली की जानकारी धर्मकांटा संचालन की अनुबंधित कंपनी को नहीं थी। संयुक्त जांच टीम ने पाया कि जिस धर्मकांटे पर वजन 2-2.5 क्विंटल ज्यादा दिखाया जा रहा था, वही कांटा टीम के सामने सही वजन दिखाने लगा। इस गड़बड़ी से वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन और नापतौल विभाग की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
जांच जारी, बयान दर्ज
नापतौल विभाग के इंस्पेक्टर माजिद खान ने बताया कि धर्मकांटे की गड़बड़ी ट्रांसपोर्ट ठेकेदार की शिकायत और वायरल फोटो के बाद सामने आई। फिलहाल, सभी संबंधित पक्षों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। कलेक्टर के निर्देश पर मामले की विस्तृत जांच की जा रही है। नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारी देवेंद्र तिवारी ने भी जांच रिपोर्ट जल्द सौंपने की बात कही है।
धान भंडारण और परिवहन पर असर
यह मामला न केवल घोटाले का बल्कि धान के भंडारण और परिवहन में व्यवधान का कारण भी बन रहा है। हालांकि, प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि जांच के दौरान धान भंडारण प्रक्रिया पर कोई असर न पड़े। इस खुलासे ने जिला प्रशासन और वेयरहाउसिंग विभाग में हड़कंप मचा दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल फोटो के चलते मामला सुर्खियों में है। यह घोटाला न केवल सरकारी तंत्र पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि धान भंडारण और वितरण की पारदर्शिता पर भी गंभीर चिंताएं पैदा करता है।