India News (इंडिया न्यूज), MTech Baba: प्रयागराज के महाकुंभ में अलग-अलग साधु अपनी अनोखी जीवन गाथा और रूप-रंग से सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। इनमें से कुछ बाबा तो ऐसे हैं जो कुंभ खत्म होते ही गायब हो जाएंगे। पिछले दिनों आईआईटी बाबा की खूब चर्चा हुई थी, लेकिन अब एक और खास बाबा सुर्खियों में हैं, जिन्हें लोग एमटेक बाबा के नाम से जानते हैं। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, एमटेक बाबा का असली नाम दिगंबर कृष्ण गिरि है।

वे पहले एक सफल प्रोफेशनल थे, जिनका सालाना पैकेज 40 लाख रुपये था। बताया जा रहा है कि, उनकी महीने की सैलरी 3.2 लाख रुपये थी, लेकिन उन्होंने ये सब छोड़कर साधु का जीवन अपनाने का फैसला किया। अब वे निरंजनी अखाड़े में शामिल होकर नागा साधु बन गए हैं।

एमटेक बाबा ने कहां से हासिल की शिक्षा?

दिगंबर कृष्ण गिरि का जन्म एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी से एमटेक की पढ़ाई की। पढ़ाई में अव्वल होने की वजह से उन्हें नामी कंपनियों में काम करने का मौका मिला। अपने करियर के दौरान एमटेक बाबा ने एसीसी बिड़ला, डालमिया और कजारिया जैसी बड़ी कंपनियों में काम किया। 2010 में वे दिल्ली स्थित एक कंपनी में जनरल मैनेजर थे, जहां उन्होंने 450 लोगों की टीम को मैनेज किया। उनकी कड़ी मेहनत और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें पेशेवर दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई।

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बाबा ने किया ये दावा

एक सवाल के जवाब में एमटेक बाबा ने कहा, “मैं एमटेक स्ट्रक्चर से हूं। मैंने एसीसी बिरला, डालमिया और कजारिया जैसी कंपनियों में काम किया है। बाद में मैं सांसारिक कारणों से…व्यक्तिगत कारणों से दिल्ली आया। मैं जनरल मैनेजर था। उस समय मेरा टेकऑफ 3.2 लाख रुपये था। मैं साधु इसलिए बना क्योंकि देहरादून आते समय मैंने साधुओं का एक समूह देखा। उन्हें देखकर मुझे लगा कि यह क्या है? ब्राह्मण परिवार से होने के कारण मैं इतने सारे साधुओं को एक साथ नहीं देख सकता। जैसा कि ऋषिकेश और हरिद्वार में हुआ। मैंने इसके बारे में तीन महीने तक गूगल किया, कुछ नहीं मिला। मैं इसे देखने के लिए इसमें शामिल हो गया। फिर भी मैं इससे वापस नहीं आ सका।”

मैंने दो बार भगवान के दर्शन किए

एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “भौतिक जीवन क्या है? जब वेतन अधिक होता है, तो व्यक्ति बुरी आदतों का शिकार हो जाता है। मेरे जीवन में भी यही हुआ। यहां व्यक्ति केवल शिव का ध्यान करता है। भगवान ध्यान में रहते हैं। नागा साधु समाज के कल्याण के लिए काम करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि, मैं यहां भगवान को देख चुका हूं। इस बारे में और अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि, एक बार मैंने उनके प्रत्यक्ष दर्शन किए हैं और एक बार उनकी आवाज सुनी है। मैं इससे बहुत खुश हूं।

मैं राम मंदिर के उद्घाटन में भी शामिल हुआ हूं। मैं इसमें आमंत्रित अतिथि था। निमंत्रण मंदिर समिति की ओर से ही आया था। निमंत्रण मेरी कुटिया में आया था। यह मेरे पास इसलिए आया क्योंकि मैं हिमालय में रहता हूं और नागा साधु के रूप में समाज के कल्याण के लिए काम करता हूं।”

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