India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: महाकुम्भ मेले में श्रद्धालुओं का आकर्षण इस बार सिर्फ संगम स्नान तक ही सीमित नहीं है। मेले के सेक्टर 01 काली सड़क स्थित नमामि गंगे के एग्जिबिशन हॉल में द्वादश माधव परिक्रमा की विशेष गैलरी भक्तों के लिए एक नई आध्यात्मिक अनुभूति का केंद्र बन गई है। इस गैलरी में प्रयागराज के बारह दिव्य माधव मंदिरों के महत्व, इतिहास और परिक्रमा की परंपरा को अद्भुत रूप से प्रदर्शित किया गया है। इंटैक द्वारा तैयार इस गैलरी में हर माधव मंदिर का परिचय, उनसे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथाएं बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत की गई हैं। गैलरी में स्थापित दसवीं शताब्दी की भगवान विष्णु की योग मुद्रा में दुर्लभ मूर्ति की रेप्लिका विशेष रूप से दर्शकों का ध्यान खींच रही है। श्रद्धालु यहां परिक्रमा की महत्ता को समझते हुए इसे अपनी महाकुम्भ यात्रा का अनिवार्य हिस्सा मान रहे हैं।
त्रेतायुग से योगी युग तक का सफर
द्वादश माधव मंदिर (श्री वेणी माधव, श्री आदि माधव, श्री मनोहर माधव आदि) प्रयागराज की आध्यात्मिक धरोहर के प्रतीक हैं। त्रेतायुग में महर्षि भारद्वाज के समय प्रारंभ हुई इस परिक्रमा परंपरा ने कई ऐतिहासिक उतार-चढ़ाव देखे। मुगल और ब्रिटिश काल में खंडित हुई परंपरा को 1961 में संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी ने पुनर्जीवित किया। आज योगी सरकार के प्रयासों से यह यात्रा बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से जारी है।
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गैलरी के जरिए जीवंत हुई आध्यात्मिक धरोहर
गैलरी में इंटैक द्वारा शोध आधारित सामग्री और दुर्लभ चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। त्रिवेणी संगम पर स्नान के साथ द्वादश माधव परिक्रमा करने का पुण्य श्रद्धालुओं के मन में गहरी आस्था का संचार कर रहा है। मान्यता है कि यह परिक्रमा कल्पवास का फल प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
प्रयाग की आध्यात्मिक आत्मा
भगवान विष्णु के ये बारह दिव्य स्वरूप न केवल प्रयाग की धार्मिक धरोहर को समृद्ध करते हैं, बल्कि त्रिवेणी संगम की पवित्रता की भी रक्षा करते हैं। श्रद्धालु यहां आकर न केवल इन मंदिरों के महत्व को समझते हैं, बल्कि आध्यात्मिक शांति का अनुभव भी करते हैं।