India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh Mela 2025 Prayagraj: प्रयागराज के उत्तर प्रदेश में हर 12 साल बाद आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो न केवल लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह एक अद्भुत सांस्कृतिक और धार्मिक मंच भी बन चुका है, जहां परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस बार का महाकुंभ कुछ खास है, क्योंकि यहां ऐसे कई बाबाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, जो अपनी अनोखी जीवनशैली और व्यक्तित्व के कारण सबका ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
महाकुंभ में इन बाबाओं की उपस्थिति ने एक अलग ही चर्चा का माहौल बना दिया है। इनमें से कुछ बाबा इतने अनोखे हैं जिनको जो देखता है है वो देखता ही रह जाता है। सभी बाबाओं में ऐसा कुछ न कुछ खास जरूर है जिससे लोग इनकी तरफ देखते ही रह जाते हैं और इनके बारे में अधिक जानने की कोशिश करते हैं। ये बाबा अपनी अनूठी साधना, जीवन दर्शन और भक्ति के कारण अच्छ-खासे प्रसिद्ध हो गए हैं। आइए जानते हैं इन बाबाओं के बारे में।
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महाकुंभ में रुद्राक्ष बाबा के नाम से मशहूर संत गीतानंद महाराज का नाम बहुत चर्चा में है। उन्होंने पिछले छह सालों से अपने सिर पर 1.25 लाख रुद्राक्षों की माला धारण कर रखी है, जिनका वजन कुल 45 किलोग्राम है। ये रुद्राक्ष उनके भक्तों द्वारा भेंट किए गए हैं और उनकी भक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। वे जूना अखाड़े से जुड़े हैं और पंजाब के कोट का पुरवा गांव के निवासी हैं।
महाकुंभ में एक आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करने वाले बाबा अभय कुमार का नाम भी चर्चा में छाया हुआ है। IIT से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपना जीवन साधना में समर्पित कर दिया है। उनका कहना है, “ज्ञान के पीछे चलते जाओ, अंत में कहां जाओगे, यहीं आओगे,” जो आज के युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा बन चुका है।
मौनी बाबा, जिनका असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है उन्होंने 41 साल से मौन व्रत रखा हुआ है। वे शिवशक्ति बजरंग धाम प्रतापगढ़ में अपनी साधना कर रहे हैं। दिनेश बाबा के जीवन में साधना और तपस्या का बहुत महत्व है, और वे समाज में शांति और समृद्धि का संदेश देने का कार्य कर रहे हैं।
अमरजीत उर्फ अनाज वाले बाबा ने अपने सिर से फसल उगाकर सभी को चौंका दिया है। पिछले पांच सालों से वे अपनी साधना में गेहूं, बाजरा, चना और मटर जैसी फसलें उगा रहे हैं। उनका सिर उपजाऊ भूमि की तरह काम करता है, जिससे लोग हैरान हैं।
महाकुंभ में सबसे युवा संत श्रवण पुरी का नाम भी सुर्खियों में छाया हुआ है। वे महज 3.5 साल के हैं और जूना अखाड़े के सबसे कम उम्र के बाबा माने जाते हैं। उनका जीवन अभी साधना और ध्यान में लीन है और उनका ध्यान भगवान की भक्ति में लगा हुआ है। उनके माता-पिता ने उन्हें 3 महीने की उम्र में गुरुओं को दान कर दिया था। जिसके बाद अब वे पूरी तरह से संत के रूप में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
महाकुंभ में टार्जन बाबा का नाम भी खूब चर्चा में है। उनका असली नाम महंत राजगिरी है और वे इंदौर से महाकुंभ में पहुंचे हैं। उन्होंने अपनी ऐतिहासिक एंबेसडर कार के साथ कुंभ मेला में भाग लिया, जो लगभग 52 साल पुरानी है। यह बाबाजी का जीवन बहुत साधारण है, लेकिन उनकी उपस्थिति और उनके जीवन का संदेश बहुत प्रेरणादायक है। इसके अलावा महाकुंभ 2025 में कांच खाने वाले बाबा भी खासे फेमस हो रहे हैं।
ये सभी बाबा अपने अद्वितीय व्यक्तित्व और जीवन के उद्देश्य से लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। महाकुंभ में इनकी उपस्थिति दर्शाती है कि आस्था, साधना और भक्ति की शक्ति किसी भी रूप में हो, वह हर किसी के दिल को छू सकती है।
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