India News (इंडिया न्यूज),Jangam Sadhu: महाकुंभ में साधुओं की अलग-अलग वेशभूषा और उनकी अलग पहचान लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इसी संदर्भ में आज हम आपको जंगम साधुओं के बारे में बता रहे हैं। जंगम साधु का जन्म शिव की जांघ से हुआ था, इसलिए उन्हें जंगम साधु कहा जाता है। उन्हें ‘जंगम जोगी’ भी कहा जाता है। जंगम साधु शैव धर्म से जुड़े हैं।
जंगम साधु कैसे अस्तित्व में आए
जब भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु से विवाह के लिए दक्षिणा मांगी तो उन्होंने लेने से मना कर दिया। तब भगवान शिव ने अपनी जांघ पीटकर जंगम साधुओं की रचना की। उन्होंने महादेव से दान लिया और विवाह में गीत गाए और दक्षिणा ली।सिर पर मोर पंख, शिव का नाम, हाथ में एक खास आकार की घंटी, एक बिंदी और कानों में पार्वती की बालियां। यही जंगम साधु की पहचान है। जंगम साधु इन चीजों से खुद को सजाते हैं और अपने देवता का गुणगान करते हैं। इन्हें अखाड़ों का गायक भी कहा जाता है।
केवल संतों से लेते हैं दान
जंगम साधु केवल संतों से ही दान लेते हैं। उनकी भीख मांगने की एक खास शैली होती है। जंगम साधु संतों से मिले दान से अपना पेट भरते हैं। महाकुंभ में जंगम साधु अखाड़ों और शिविरों के सामने खड़े होकर टल्ली (एक खास तरह की घंटी) बजाकर और अनोखे शिव भजन गाकर दान की अपेक्षा करते हैं। जंगम साधुओं के वंशजों को ही इस परंपरा को आगे बढ़ाने का अधिकार है। जंगम साधु का बेटा ही जंगम साधु बन सकता है।