India News (इंडिया न्यूज),Sudha Murthy in Mahakumbh 2025: मशहूर उद्योगपति और इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी और राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति भी महाकुंभ में पहुंच गई हैं। प्रयागराज कुंभ पहुंचकर उन्होंने मंगलवार 21 जनवरी 2025 को पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई, गंगाजल से सूर्य देव को जल अर्पित किया। यहां सुधा मूर्ति अपने पूर्वजों का तर्पण भी करेंगी। आपको बता दें कि पद्म भूषण से सम्मानित सुधा मूर्ति उद्योग, राजनीति, समाजसेवा और व्यापार जगत का जाना-माना नाम हैं, जो अपनी सादगी और संयमित जीवन के लिए जानी जाती हैं।

महाकुंभ को सर्वश्रेष्ठ तीर्थस्थल कहा जाता है

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में अपने आध्यात्मिक अनुभव का वर्णन करते हुए सुधा मूर्ति ने इसे जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर बताया। उन्होंने यह भी कहा, ‘यह तीर्थस्थल सर्वश्रेष्ठ पवित्र स्थान है।’ महाकुंभ 144 साल में एक बार आता है और मैं यहां आकर बहुत खुश हूं। मीडिया से बात करते हुए सुधा मूर्ति ने कहा, ‘मैंने 3 दिन का संकल्प लिया है। मंगलवार को मैंने प्रयाग में पवित्र स्नान किया और आज भी करूंगी।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘मेरे नाना-नानी महाकुंभ में नहीं आ पाए थे। इसलिए मैंने उनके नाम पर तर्पण करना जरूरी समझा। इससे मैं बहुत खुश हूं।’

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पूर्वजों के लिए तर्पण करना क्यों जरूरी है?

हिंदू धर्म में पूर्वजों के लिए तर्पण का विशेष महत्व है। इसे एक महत्वपूर्ण कर्मकांड माना जाता है। अगर मृत्यु के बाद पूर्वजों के लिए तर्पण नहीं किया जाता है, तो पूर्वजों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है। पूर्वजों की मुक्ति, पूर्वजों का आशीर्वाद पाने और पितृ दोष से मुक्ति के लिए तर्पण जरूरी है।

महाकुंभ में तर्पण का महत्व

महाकुंभ एक ऐसा विशाल धार्मिक आयोजन है, जो 144 साल में एक बार होता है। मान्यता है कि प्रयाग में संगम तट पर गंगा में स्नान करने के बाद पूर्वजों को जल अर्पित करना चाहिए। इससे पितरों को मोक्ष मिलता है। महाकुंभ में स्नान करने वाले व्यक्ति को अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति होती है। स्नान करने के बाद हाथ में गंगाजल लेकर पितरों को अर्पित करना चाहिए और प्रणाम करना चाहिए।

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