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Indore-2 Assembly Constituency: मध्य प्रदेश का इंदौर-2 सीट मानी जाती है सबसे अहम, बीजेपी के इस गढ़ को क्या तोड़ पाएगी कांग्रेस?

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : October 18, 2023, 2:17 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Indore-2 Assembly Constituency:  मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा दिन नहीं रह गया है। वहीं मध्य प्रदेश का इंदौर-2 विधानसभा सीट राज्य के सियासत का सबसे अहम सीट माना जाता रहा है। यह सीट भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कैलाश विजयवर्गीय के नाम से भी जाना जाता है। ये सीट बीजेपी के लिए बेहद खास है। क्योंकि यहां पर पार्टी को बड़ी जीत मिलती रही है। बीजेपी के रमेश मेंदोला ने 2018 के चुनाव में कांग्रेस के मोहन सेंगर को काफी आसानी से मात दी थी।

बता दें कि इंदौर-2 विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव में 9 उम्मीदवारों ने भागीदारी ली थी, लेकिन यहां मुख्य रुप से मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही रहा। बीजेपी के उम्मीदवार रमेश मेंदोला को 138,794 वोट मिले थे, तो वहीं कांग्रेस के सेंगर को 67,783 वोट मिले। जबकि नोटा में भी वोटों का आंकड़ा 2,951 वोट रहे।

कितने वोटरों का इस सीट पर कब्जा

बीजेपी के उम्मीदवार रमेश ने एकतरफा के मुकाबले में 71,011 मतों के अंतर से बड़ी जीत हासिल की थी। साल 2018 के चुनाव में 3,33,271 वोटर्स थे, जिसमें से 1,75,254 पुरुष मतदाता और वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 1,58,000 थी। यानी इसमे 2,14,117 वोटर्स ने वोट डाले थे।

इंदौर-2 सीट का क्या है इतिहास?

इंदौर-2 विधानसभा कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टीयों के लिए काफी अहम सीट मानी जाती है। वहीं इस सीट पर पहले कम्युनिस्ट नेता भी जीत हासिल कर चुके हैं। यहां पर सबसे पहले विधायक कम्युनिस्ट पार्टी के ही रहे। फिर उसके बाद इस सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया और कई सालों तक पार्टी ने इस सीट पर कब्जा बनाया रखा। लेकिन उसके बाद फिर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने यहां से अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत की और विधायक का चुनाव लड़ा और कांग्रेस के प्रत्याशी को भारी मतों से हराकर इस सीट पर अपना कब्जा बना लिया। उसके बाद फिर इस सीट लगातार कैलाश विजयवर्गीय के पास ही रही। फिर उन्होंने इस सीट पर अपने विश्वसनीय रमेश मेंदोला को चुनाव में उतारा और उसके बाद फिर लगातार तीन बार बीजेपी के रमेश मेंदोला इस सीट पर चुनाव के साथ कांग्रेस तीन बार हराकर अपना दबदबा बनाये रखा।

बीजेपी ने लगाया हैट्रीक जीत

वहीं साल 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को जीतने के उद्देश्य से छोटू शुक्ला को मैदान पर उतरा था। लेकिन बीजेपी के आगे उन्हें फिर से झुकना पड़ा था। बीजेपी ने कांग्रेस को 91,217 मतों के अंतर से हरा दिया था। अगर साफ शब्दों में कहें तो इसे बीजेपी की सबसे बड़ी जीत मानी जाती है। उसके बाद 2018 में कांग्रेस ने बीजेपी के विधायक रमेश मंडोला के सामने मोहन सेंगर को खड़ा किया था। वहीं इससे पहले साल 2003 के चुनाव से लेकर अब तक के चुनाव पर नजर डालें तो उस साल हुए चुनाव में बीजेपी के देवसिंह पटेल ने कांग्रेस की मिस चंद्रभाग किर्डे को यहां से हराया था। 2008 के चुनाव में बीजेपी के रमेश मेंदोला ने कांग्रेस के सुरेश सेठ को काफी आसान मुकाबले में हराया था। वहीं 2013 के चुनाव में रमेश ने कांग्रेस के छोटू शुक्ला को एकतरफा हुए मुकाबले में मात दिया था। यह जीत का सिलसिला 2018 में भी ऐसे ही जारी रहा और लगातार तीन बार बीजेपी ने अपना दबदबा कायम रखा।

इस बिरादरी पर पार्टी का रहता है खास नजर

इंदौर-2 सीट पर मुख्य रूप से ब्राह्मण, ठाकुर और महाराष्ट्रीयन लोग रहते हैं। इनका इस सीट पर खासा दबदबा माना जाता है। सभी पार्टीयां इन तीनों ही बिरादरी पर ज्यादा ध्यान देते हैं। फिर अपने उम्मीदवारों को खड़ा करते हैं। हालांकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस की तरफ से लड़ने वाले मोहन सेंगर भी पार्टी बदल चुके हैं। वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के दौरान ही वह भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस थोड़ी सी कमजोर हो गई है।

बता दें कि इस सीट के तहत एक समय सबसे अधिक कपड़ा मील हुआ करती थीं, लेकिन अचानक से यह कपड़ा मिल बंद होने की वजह से मिल के मजदूर बेरोजगार हो गए। अब वह मजदूरी या फिर किसी अन्य छोटे-मोटे कामकाज से अपना गुजारा करते हैं।

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