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19Th Day Of The Russo-Ukraine War : क्या अब रूस के निशाने पर पोलैंड?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 14, 2022, 12:54 pm IST

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
19Th Day Of The Russo-Ukraine War : रूस-यूक्रेन जंग का आज 19वां दिन है। मतलब तीन सप्ताह होने को हैं। लेकिन अभी तक रूस कीव शहर को नहीं कब्जा पाया। इस हमले में नाटो सदस्य देश पोलैंड पश्चिमी देशों और यूक्रेन के बीच महत्वपूर्ण क्षेत्र बन कर रह गया है।

उधर अमेरिका ने यूक्रेन से सटे पोलैंड में अपने दो पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैनात किए हैं। इस मिलिट्री सिस्टम तैनाती से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि क्या रूस पोलैंड पर हमला करने की तैयारी पर है। तो चलिए जानते हैं कि अमेरिका पोलैंड पर सेना क्यों कर रहा तैनात। रूस के हमले का पोलैंड पर कितना खतरा। क्या है पोलैंड में तैनात अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम।

पोलैंड पर रूस के हमले का डर क्यों ? (19Th Day Of The Russo-Ukraine War)

  • यूक्रेन पर हमले के बाद पोलैंड पर रूस के हमले का डर सताने लगा है। पोलैंड के नेताओं ने आशंका जताई है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उनके क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं।
  • बता दें कि पोलैंड पश्चिमी देशों और यूक्रेन के बीच काफी अहम कड़ी है। पोलैंड की सीमा यूक्रेन से लगी है। ऐसे में पश्चिमी देशों को अगर यूक्रेन को मिलिट्री मदद पहुंचानी है तो वह पोलैंड के रास्ते ही हो सकती है। पश्चिमी हथियारों के चलते ही रूस को यूक्रेन में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। जंग शुरू हुए लगभग तीन सप्ताह हो चुके हैं, लेकिन रूस अब तक कीव पर कब्जा नहीं कर पाया है।
  • यूक्रेन के साथ पोलैंड की काफी करीबी है। नाटो ने यूक्रेन से लगती पोलैंड की सीमा के पास भारी संख्या में खतरनाक हथियारों को तैनात किया है। इसमें अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल भी है। इस मामले में एक्सपर्ट्स का कहना है कि नाटो की प्रतिक्रिया से बौखलाया रूस अब पोलैंड को भी निशाना बना सकता है। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो पहले वर्ल्ड वॉर तक पोलैंड सोवियत रूस का हिस्सा रहा है।
  • वहीं दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान पोलैंड नाजी जर्मनी और रूस की सेनाओं के बीच फंस गया था। इस दौरान दोनों देशों ने आपस में क्षेत्र को बांट लिया था। 1991 में सोवियत सैनिक पोलैंड छोड़कर जाने लगे। इसके बाद पोलैंड में पहली बार आम चुनाव हुए।

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क्या रूस के लिए पोलैंड पर हमला करना आसान है?

  • आपको बता दें कि रूस सीधे तौर पर पोलैंड पर हमला नहीं करेगा। क्योंकि पोलैंड नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी आॅर्गनाइजेशन का सदस्य है। नाटो यूरोप और उत्तरी अमेरिकी देशों का एक सैन्य और राजनीतिक गठबंधन है। नाटो की स्थापना के समय अमेरिका समेत 12 देश इसके सदस्य थे। अब 30 सदस्य देश हैं, जिनमें 28 यूरोपीय और दो उत्तरी अमेरिकी देश हैं।
  • इस संगठन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी नाटो देशों और उसकी आबादी की रक्षा करना है। नाटो के आर्टिकल पांच के मुताबिक, इसके किसी भी सदस्य देश पर हमले को नाटो के सभी देशों पर हमला माना जाएगा। ऐसे में रूस यदि पोलैंड पर हमला करता है तो इसे नाटो पर हमला माना जाएगा। इसके चलते अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस समेत सभी नाटो सदस्य देश इस युद्ध में शामिल होंगे।

अमेरिका मिसाइल डिफेंस सिस्टम क्या?  (19Th Day Of The Russo-Ukraine War)

19Th Day Of The Russo-Ukraine War

  • बताया जाता है कि अमेरिका ने पोलैंड में दो पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तैनाती किया है। पैट्रियट एडवांस्ड कैपेबिलिटी-3 मिसाइल दुनिया की सबसे बेहतरीन डिफेंस सिस्टम में से एक है। यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और लड़ाकू विमानों को पल भर में मार गिराने में सक्षम है। सभी मौसम में दागी जाने वाली इस मिसाइल का निर्माण लॉकहीड मॉर्टिन ने किया है।
  • पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम 100 किलोमीटर दूर दुश्मन की मिसाइल को ट्रैक कर इसे नष्ट कर सकता है। अमेरिका के रक्षा मंत्रालय की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, पैट्रियट को पहली बार 1982 में तैनात किया गया था। 2003 में आपरेशन इराकी फ्रीडम में यह अमेरिकी सेना का हिस्सा भी थी।
  • यूएई, कुवैत और सऊदी अरब ने भी पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम का यूज करते हैं। इसके साथ ही जर्मनी, ग्रीस, इजराइल, जापान में भी यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम मौजूद है। 1991 में खाड़ी के दूसरे युद्ध के दौरान इस डिफेंस सिस्टम ने सोवियत एरा के कई स्कड रॉकेटों को हवा में मार गिराया था। ये रॉकेट सद्दाम हुसैन ने सऊदी अरब और इजराइल के लिए छोड़े थे।

क्यों पोलैंड पर मिलिट्री बढ़ रही?

  • बेलारूस में रूस ने पिछले साल से ही काफी ज्यादा संख्या में सैन्य तैनाती कर रखी है। पोलैंड और बेलारूस की सीमा मिली हुई है। साथ ही दोनों देशों के बीच रिश्ते भी तनावपूर्ण रहे हैं। इस वजह से भी पोलैंड पर रूस के हमले का खतरा बना है। 2020 में अलेक्जेंडर लुकाशेंको छठीं बार बेलारूस के राष्ट्रपति बने। हालांकि, उन पर चुनावों धांधली कर सत्ता में वापस आने के आरोप लगाए गए। पोलैंड ने लुकाशेंको के खिलाफ कई कड़े प्रतिबंध भी लगाए।
  • 2021 में पोलैंड ने लुकाशेंको पर देश में माइग्रैंट क्राइसिस पैदा करने का आरोप भी लगाया। पोलैंड ने कहा था कि लुकाशेंको इसके जरिए अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों में ढील देने का सौदा करना चाहते थे। पिछले माह यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से पहले लिथुआनियाई राष्ट्रपति गीतानास नौसेदा ने भी रूस को लेकर चेताया था। उन्होंने कहा था कि बेलारूस में मौजूद रूसी सैनिक पोलैंड और अन्य बाल्टिक देशों के लिए घातक है।
  • पोलैंड के विदेश मंत्री जबिग्न्यू राउ ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी कहा कि खतरे की स्थिति को देखते हुए इस क्षेत्र में नाटो के और सैनिकों की तैनाती की जानी चाहिए। इन खतरों को देखते हुए अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने इस हफ्ते वारसा का दौरा किया था। साथ ही उन्होंने पोलैंड को दो पैट्रियट मिसाइल देने की घोषणा की। इसके साथ ही 4700 अतिरिक्त अमेरिकी सैनिकों की तैनाती की भी बात कही।
  • यूक्रेन पर रूसी हमले के बीच पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेजेज डूडा ने अमेरिका की इस घोषणा का स्वागत भी किया है। उन्होंने कहा था कि यदि दुनिया इस पर प्रतिक्रिया नहीं देगी। नाटो सख्त रुख नहीं दिखाएगा तो हमें रूस की ओर से और अधिक हमले देखने को मिलेंगे, जिसका शिकार पोलैंड भी हो सकता है।

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क्या पोलैंड यूक्रेन की सहायता कर रहा?

19Th Day Of The Russo-Ukraine War

  • यूक्रेन को मानवीय और मिलिट्री मदद देने में पोलैंड सबसे आगे रहा है। इसकी पुष्टि अमेरिकी पेंटागन के अफसरों ने की है। उन्होंने बताया कि रूस के हमले के तुरंत बाद जर्मनी में मौजूद सैन्य भंडार को पोलैंड भेज दिया गया। जहां से वे यूक्रेन पहुंच गए।
  • हाल ही में पोलैंड ने यूक्रेन को अपने मिग-29 जेट विमानों को देने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, अमेरिका ने पोलैंड के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। अमेरिका ने कहा था कि यह प्रस्ताव तनाव को और बढ़ा सकता है जो कि नाटो के लिए सही नहीं है। पोलैंड ने अपने दम पर युद्ध प्रभावित यूक्रेन को सैन्य सहायता भेजी है।
  • हालांकि अधिकांश सरकारों की तरह, पोलैंड ने भी यूक्रेन को भेजी सैन्य मदद का खुलासा नहीं किया है। हालांकि पोलैंड ने यूक्रेन पर रूसी हमले के एक दिन बाद 25 फरवरी को कहा था कि हमने जो गोला-बारूद यूक्रेन को भेजा था वह उसे मिल गया है। हम रूस के आक्रमण का विरोध करते हैं। साथ ही यूक्रेन के लोगों के समर्थन में एकजुटता के साथ खड़े हैं। नाटो सदस्य देश पोलैंड यूक्रेन से आए हजारों रिफ्यूजियों को भी देश में आने दे रहा है।

19Th Day Of The Russo-Ukraine War

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