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Agricultural Laws Withdrawal चुनावी राज्यों में मास्टरस्ट्रोक साबित होगा फैसला

Vir Singh • LAST UPDATED : November 19, 2021, 6:32 pm IST

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

Agricultural Laws Withdrawal केंद्र का कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला चुनावी राज्यों में मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है। यूपी व पंजाब सहित पांच राज्यों में चार जगह भाजपा की सरकार है। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे काफी महत्त्वपूर्ण हैं।

केंद्र के फैसले के बाद कृषि कानूनों और किसान आंदोलन की वजह से बैकफुट पर नजर आ रही भाजपा और मोदी सरकार अब मजबूत नजर आएगी। अब न तो किसान नेता सरकार का विरोध कर पाएंगे और न ही अब विपक्षी दल चुनाव में हथियार के रूप में किसानों की नाराजगी का फायदा उठा पाएंगे। इस तरह से देखा जाए तो केंद्र सरकार ने भले ही मजबूरी में ही यह फैसला लिया, मगर यह उसका चुनावी राज्यों में मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।

भाजपा के खिलाफ यूपी में भी विफल होगा अखिलेश का दांव (Agricultural Laws Withdrawal)

भाजपा के खिलाफ किसानों के विरोध को देखते हुए अखिलेश यादव ने अपना बड़ा दांव चला था और जयंत चौधरी की पार्टी संग चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उम्मीद थी कि भाजपा की नाराजगी का असर सपा गठबंधन को होगा और जाट से लेकर कई जातियों का वोट सपा में ट्रांसफर होगा, मगर ऐन वक्त पर पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेकर पासा पलट दिया है। ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव को फिर से अपनी रणनीति बदलने पर पीएम मोदी ने मजबूर कर दिया है। इस तरह से देखा जाए तो पीएम मोदी ने मजबूरी को मास्टरस्ट्रोक में बदल दिया।

लखीमपुर में धधकती रहेगी आंदोलन की चिंगारी (Agricultural Laws Withdrawal)

उत्तराखंड और यूपी के तराई क्षेत्रों में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष और लखीमपुर में कृषि आंदोलन में शामिल रहे अमनदीप सिंह ने कहा, जब प्रधानमंत्री ने यह मान लिया कि किसानों को समझाने में वह नाकाम रहे। दरअसल वह नाकाम नहीं रहे क्योंकि यह बिल पूरी तरीके से गलत है और किसान विरोध में लगातार आंदोलन कर रहे थे। इसी बिल का विरोध कर रहे आंदोलन में लखीमपुर में हमारे किसानों की हत्या कर दी गई।

अब जब यह बिल वापस हो रहा है तो लखीमपुर में किसानों की हत्या करने वालों को फांसी होनी चाहिए और अजय मिश्र का इस्तीफा हर हाल में होना चाहिए। जब तक उनका इस्तीफा नहीं होता तब तक लखीमपुर में आंदोलन की चिंगारी धधकती रहेगी। लखीमपुर के किसान आंदोलन में शामिल अवतार सिंह और निर्मल सिंह ने भी कहा, अब खीरी में आंदोलन और तेज होगा, क्योंकि सरकार की लापरवाही के चलते हमारे किसानों की हत्या हुई। अगले दो से तीन दिन के भीतर जल्द ही किसान संगठनों की एक बड़ी बैठक निघासन इलाके में की जाएगी। इस दौरान आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

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