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Ellenabad By Election पर सबकी निगाहें, चौटाला परिवार का रहा है दबदबा

Amit Gupta • LAST UPDATED : September 30, 2021, 1:20 pm IST

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Ellenabad By Election

डॉ रविंद्र मलिक । चंडीगढ़

ऐलनाबाद (Ellenabad) सीट कई महीने से खाली पड़ी है। गत विधानसभा चुनाव में इनेलो (INLD) के एकमात्र विधायक अभय सिंह चौटाला इस सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने जारी किसान आंदोलन (kisaan aandolan) के समर्थन और तीन कृषि कानूनों के विरोध में विधायकी से इस्तीफा दे दिया और तब से ये सीट खाली है। अब चुनाव आयोग ने 30 अक्टूबर को इस सीट पर चुनाव की घोषणा कर दी है तो सभी पार्टियां चुनावी रण में उतरने के तैयारियों में लग गई हैं। लेकिन वहीं इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है इस सीट पर पिछले कुछ चुनावों से तो देवी लाल परिवार का ही दबदबा रहा है। ऐसे में एक बार इस सीट का इतिहास भी जानना जरूरी है।

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पिछले 7 चुनाव में देवी लाल परिवार हावी रहा है (Ellenabad By Election)

हरियाणा के गठन के बाद 1967 में चुनाव हुआ तो यहां से देश के पूर्व प्रधानमंत्री व दिवंगत देवी लाल के बड़े बेटे प्रताप सिंह ने कांग्रेस पार्टी की सीट पर चुनाव जीता था। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री व उनके दूसरे बेटे ओपी चौटाला भी यहीं से चुनाव जीते थे। चौटाला साल 1970 में यहां से चुनाव जीते थे। इसके बाद दूसरा दफा 2010 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ था जिसमें चौटाला के बेटे अभय सिंह चौटाला विजयी रहे थे। पिछले तीनों चुनाव उन्होंने यहां से जीते हैं। इस तरह से इस सीट पर कुल 15 बार चुनाव हुए हैं जिनमें से 10 बार देवी लाल परिवार या उनकी पार्टी के कैंडिडेट ने जीत का स्वाद चखा है। ये भी बता दें कि इस सीट से लोकदल के भागी राम पांच बार चुनाव जीत चुके हैं। अभय चौटाला ने यहां से जीत की हैट्रिक लगा रखी है। ये भी बता दें कि ऐलनाबाद सीट को साल 2010 में आरक्षित कैटेगरी से हटाकर सामान्य में तब्दील कर दिया गया था। साल 2008 में परिसीमन हुआ था और इससे पहले ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी।

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पिछले चुनाव में हुआ था कड़ा मुकाबला (Ellenabad By Election)

ऐलनाबाद सीट से इनेलो के अभय चौटाला लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। पिछले चुनाव में उनको कांग्रेस प्रत्याशी से टक्कर जरूर मिली थी। साल 2019 में हुई वोटिंग में करीब डेढ़ लाख वोट पोल हुए थे जिनमें से अभय चौटाला को करीब 57 हजार वोट मिले थे। वहीं भाजपा उम्मीदवार पवन बेनीवाल को करीब 45 वोट मिले। इस लिहाज से जीत का अंतर करीब 12 हजार था। वहीं कांग्रेस के कैंडिडेट पवन बेनीवाल को करीब 35 हजार वोट मिले थे। इस लिहाज से इनेलो के लिए बड़ी जीत नहीं थी।

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कौन होगा सत्ताधारी पार्टी भाजपा-जजपा की तरफ से उम्मीदवार, सबकी निगाह (Ellenabad By Election)

(Who will be the candidate from the ruling party BJP-JJP) सबकी निगाह इस पहलू पर कायम है कि इस बार सत्ताधारी भाजपा व सहयोगी जजपा की तरफ से यहां उम्मीदवार कौन होगा। दोनों मंथन कर रही हैं लेकिन अभी पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि वर्तमान परिस्थितियों तो देखते हुए डगर थोड़ी कठिन जरूर है लेकिन राजनीति में निश्चित तौर पर कुछ भी कहना संभव नहीं है। बता दें गत बरोदा उप-चुनाव में भी ये सवाल लगातार रह रह कर उठा था कि वहां कैंडिडेट भाजपा का होगा या फिर जजपा। हालांकि अंत में भाजपा की तरफ पहलवान योगेश्वर दत्त को मैदान में उतारा गया लेकिन वो पार्टी की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। हालांकि इस बात की उम्मीद ज्यादा जताई जा रही है को दोनों पार्टी की तरफ से जजपा का संयुक्त उम्मीदवार होगा।

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कांग्रेस के लिए भी आसान नहीं डगर, आखिरी बार 1991 में जीती थी सीट (Ellenabad By Election)

(Not easy even for Congress, last won seat in 1991) कांग्रेस के भी उम्मीदवार पर सबकी निगाह है कि पार्टी किस को रण में उतारेगी। कांग्रेस के लिए करीब तीन दशक से ये सीट दुस्वपन ही साबित हुई है। आखिरी चुनाव इस सीट से साल 1991 में जीता था। इसके बाद 1996 में चुनाव हुए तो देवी लाल या चौटाला की पार्टी का उम्मीदवार ही विजयी रहा है। वहीं दूसरी तरफ ये भी बता दें कि पिछली बार भाजपा के प्रत्याशी रहे पवन बेनीवाल भाजपा को अलविदा कर कांग्रेस में एंट्री कर चुके हैं। ऐसे में पार्टी लगातार मंथन कर रही है कि वहां से किसको चुनावी रण में उतारा जाए।

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कौन होगा इनेलो का उम्मीदवार, हर कोई उत्सुक जानने को (Ellenabad By Election)

(Who will be the INLD candidate, everyone curious to know) इस बात चर्चा भी चहुं ओर है कि इस सीट पर हावी रहने वाले इनेलो की उम्मीदवार आखिरकार कौन होगा। पार्टी सुप्रीमो जेल से बाहर आ चुके हैं तो उम्मीद जताई जा रही है कि वो ही चुनाव लड़े लेकिन खराब सेहत आड़े आ रही है। वहीं दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है हो सकता है कि अभय के बेटे करण चौटाला को चुनाव रणभूमि में उतारा जाए। वहीं ओपी चौटाला के चुनाव लड़ने पर एडवोकेट व एक्सपर्ट हेमंत कुमार ने कहा कि कि ऐसा तभी संभव होगा जब भारतीय निर्वाचन आयोग उनकी चुनाव लड़ने संबंधी अयोग्यता अवधि को आरपी एक्ट (कानून), 1951 की धारा 11 में हटा देता है। मामले को लेकर इनेलो कानूनी लड़ाई भी लड़ रहा है। ऐसे में फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।

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