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Raisina Dialogue 2022 खाद्य संकट से उबरने में मदद को भारत तैयार पर बदलने होंगे डब्ल्यूटीओ के नियम

Vir Singh • LAST UPDATED : April 27, 2022, 3:22 pm IST

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
देश की राजधानी दिल्ली में चल रहे रायसीना डायलॉग में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने कहा कि दुनिया के सामने जिस तरह से खाद्य संकट पैदा होने की संभावना जताई जा रही है, भारत इस समस्या से उबरने में पूरी मदद देने के लिए तैयार है लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मौजूदा नियमों में कुछ बदलाव हो।

रायसीना डायलॉग में 90 देश कर रहे शिरकत

बता दें कि दिल्ली में चल रहे रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) में दुनिया के 90 देशों के सरकारी प्रतिनिधि, मंत्री और शिक्षाविद भाग ले रहे हैं। जयशंकर ने उनके सामने साफ ऐलान किया कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है। उनका लहजा भारतीय कूटनीति के बढ़ते आत्मविश्वास को बताता है। जयशंकर, कार्यक्रम में शामिल कई विदेश मंत्रियों व दूसरे गणमान्य कूटनीतिज्ञों के सवाल का जवाब दे रहे थे।

एशिया पर ध्यान नहीं दे रहा यूरोप : जयशंकर

India Ready to Help Overcome Food Crisis but WTO Rules Will Have to be Changed

भारतीय विदेश मंत्री ( Indian External Affairs Minister) ने कहा, एशिया में पिछले 10 वर्ष से जो रहा है उस पर यूरोप ने कभी ध्यान नहीं दिया। जो समस्या अभी यूरोप में है वह आगे एशिया में भी पैदा हो सकती है। जयशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा कि, एशिया में जब कानून सम्मत विश्व व्यवस्था का उल्लंघन किया जाता है तो हमें यह सलाह दी जाती है कि हम उन देशों के साथ कारोबार बढ़ाएं। कम से कम हम यूरोपीय देशों को यह सलाह नहीं दे रहे।

दुनिया में हो रही कमी खाद्यान्नों की कमी : जयशंकर

India Ready to Help Overcome Food Crisis but WTO Rules Will Have to be Changed

एस जयशंकर (S Jaishankar) ने यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद दुनिया में आए एनर्जी और खाद्य संकट का जिक्र करते हुए कहा, दुनिया में खाद्यान्नों की कमी हो रही है और खाने-पीने की चीजें महंगी हो रही हैं। भारत यहां काफी मदद कर सकता है। हम कृषि उत्पादों और खास तौर पर गेहूं का निर्यात बढ़ा सकते हैं।

एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा, हम कोशिश कर रहे हैं कि किस तरह से गेहूं की वैश्विक कमी को पूरा करने में मदद करें। यहां कुछ नियमों को लेकर दिक्कत है कि हम अपने भंडार से कितना निर्यात कर सकते हैं। इस बारे में डब्लूटीओ के नियम हैं। उसमें बदलाव करना होगा। यह सामान्य स्थिति नहीं है इसिलए उम्मीद है कि डब्लूटीओ इस नियम पर पुनर्विचार करेगा। हम इस क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान कर सकते हैं और इसके लिए हम तैयार हैं।

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