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सिस्टम से मदद नहीं मिली तो खुद ही ठानी सिस्टम बनने की, आखिर DSP बन गई उन्नाव की श्रेष्ठा Inspiring Story of Shrestha Thakur

Vir Singh • LAST UPDATED : April 14, 2022, 2:46 pm IST

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श्रेष्ठा के नाम से थरथर्राते हैं जिले के सभी अपराधी

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Inspiring Story of Shrestha Thakur छेड़छाड़ से परेशान उत्तर प्रदेश के उन्नाव की युवती श्रेष्ठा ठाकुर (Shrestha Thakur) को जब पुलिस से भी इंसाफ नहीं मिला तो उन्होंने खुद ही पुलिस अधिकारी बनने की ठान ली और एक दिन ऐसा आया कि वह अपने मुकाम पर पहुंच गई। आज श्रेष्ठा के नाम से जिले के सभी अपराधी थरथर्राते हैं।

उन्हें ‘आयरन लेडी’ भी कहा जाता है। एक समय ऐसा था जब श्रेष्ठा स्वयं ऐसी समस्या से जूझ रही थी जिससे देश की लगभग हर लड़की जूझती है, लेकिन श्रेष्ठा अन्य लड़कियों से अलग निकली। उन्होंने समस्या का हल निकालने नहीं बल्कि इस समस्या को जड़ से मिटाने का तरीका खोजा। सिस्टम से मदद न मिलने पर उन्होंने खुद ही सिस्टम बनने की ठान ली और आखिर वह डीएसपी बन गई।

जिंदगी का यू-टर्न साबित बनी घटना व पुलिस से इंसाफ न मिलना

Inspiring Story of Shrestha Thakur

श्रेष्ठा ने एक साक्षात्कार में अपनी पुलिस अफसर बनने की कहानी बताते हुए कहा था कि वह कानपुर में पढ़ती थीं। इसी दौरान उनके साथ बदमाशों ने छेड़छाड़ की। घटना दूसरी बार भी हुई। श्रेष्ठा ने इसकी शिकायत पुलिस से की लेकिन पुलिस ने ऐसी कोई जायज कार्रवाई नहीं की जिससे कि उन बदमाशों को सबक मिल सके।

छेड़छाड़ और उसके बाद पुलिस से मदद न मिलना की घटना एक तरह से श्रेष्ठा (Shrestha) के लिए उनकी जिंदगी का यू-टर्न साबित हुई। पुलिस अफसर की इच्छा को पूरा करने में श्रेष्ठा के बड़े भाई मनीष प्रताप ने उनकी मदद की। भाई ने ही पीपीएस (PPS) जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी में श्रेष्ठा का हौसला बढ़ाया। इसके बाद 2012 में श्रेष्ठा पीपीएस क्वालीफाई कर पुलिस अफसर बन गईं।

स्कूलिंग के दौरान कुछ गलत बर्दाश्त नहीं करती थी श्रेष्ठा

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श्रेष्ठा (Shrestha) का कहना है, मेरा मानना है कि वर्दी में एक महिला पूरी तरह से सेफ रहती है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि यूनिफॉर्म में अलग तरह का अहसास होता है। श्रेष्ठा (Shrestha) ने कहा, जब वह स्कूल में थीं तभी कुछ गलत बर्दाश्त नहीं करती थीं।इसी कारण उन्होंने पुलिस में शामिल होने का निर्णय लिया। श्रेष्ठा ठाकुर ने अपनी पढ़ाई के दौरान ताने भी सुने।

ग्रेजुएशन करते वक्त पड़ोसियों से ताने भी सुने, फिर भी पीछे नहीं हटी

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श्रेष्ठा (Shrestha) का कहना है कि जब वह ग्रेजुएशन रही थीं, तब उनके पड़ोसी उन्हें ताने भी मारते थे। वे उनके घर वालों को सुनाते थे कि बेटी बड़ी हो गई है, इसे अब अकेले घर से बाहर नहीं जाना चाहिए। इस सबके बीच अच्छी बात यह थी कि उनके भाई ने हमेशा श्रेष्ठा को सपोर्ट किया। भाई ने श्रेष्ठा (Shrestha) को पड़ोसियों के तानों को अनसुना कर पढ़ाई में मन लगाने को कहा। यही वजह है कि आज श्रेष्ठा ठाकुर (Shrestha Thakur) एक दमदार व पुलिस अधिकारी के रूप में पहचानी जाती हैं। वह लड़कियों को शारीरिक तौर पर भी ताकतवर बनाने के लिए ताइक्वांडो की ट्रेनिंग देती रही हैं। ऐसी लड़कियां ही समाज के लिए प्रेरणा हैं।

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