इंडिया न्यूज, जयपुर:
विश्व के सात अजूबों में शुमार व मोहब्बत की निशानी ताजमहल (Taj Mahal) को लेकर जयपुर रॉयल फैमिली (Jaipur Royal Family) ने अब दावा किया है कि यह स्मारक उनके पुरखों की विरासत है, मुगलों की नहीं। रॉयल फैमिली की सदस्य दीया कुमारी ने यह दावा किया है। वह जसमंद से सांसद भी हैं।
उन्होंने दावा किया है है कि ताजमहल की जमीन उनके पुरखों की थी। ताजमहल पर तमाम दावों के बीच दीया कुमारी ने यह भी कहा है कि उस समय मुगलों का शासन था और मुगलों ने उनके पुरखों की जमीन को ले लिया था। दीया कुमारी का दावा है कि इसके कागजात उनके पोथीखाने में हैं। सांसद ने बंद तहखाने खुलवाने की मांग की है।
राजकुमारी दीया कुमारी (Princess Diya Kumari) का कहना है कि उनके दावे की शाहजहां द्वारा राजा जयसिंह को जारी किया गया फरमान भी पुष्टि करता है। शाहजहां ने जिस स्थान पर ताजमहल के निर्माण के लिए चुना था, वह राजा मानसिंह की जमीन थी। 16 दिसंबर, 1633 (हिजरी 1049 के माह जुमादा 11 की 26/28 तारीख) को जारी फरमान से इसकी पुष्टि होती है। शाहजहां ने यह फरमान राजा जयसिंह को हवेली देने के लिए दिया था।
शाहजहां द्वारा जारी किए गए फरमान में जिक्र है कि शाहजहां ने मुमताज को दफनाने के लिए राजा मानसिंह की हवेली मांगी थी। इसके बदले में राजा जयसिंह को चार हवेलियां दी गई थीं। राजकुमारी दीया कुमारी का कहना है कि इस फरमान की सत्यापित कॉपी जयपुर स्थित सिटी पैलेस म्यूजियम में संरक्षित है।
राजकुमारी दीया कुमारी (Princess Diya Kumari) ने कहा, शाहजहां ने राजा जयसिंह द्वारा राजा जयसिंह को दी गई चार हवेलियों में राजा माधौदास की हवेली, राजा भगवान दास की हवेली, रूपसी बैरागी की हवेली मुहल्ला अतगा खान के बाजार में स्थित और चांद सिंह पुत्र सूरज सिंह की हवेली अतगा खान के बाजार में स्थित थीं। इतिहासविद् राजकिशोर राजे कहते हैं कि चार में से दो हवेलियां पीपल मंडी में थीं। वहीं अन्य दो हवेलियों की ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।
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