इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Supreme Court On TTD भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा है कि मंदिर के रीति-रिवाज स्थापित प्रथाएं हैँ और ऐसे मुद्दों को अदालतें नहीं झेल सकती हैं। तिरुपति के पास भगवान वेंकटेश्वर के प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर में पूजा अनुष्ठानों में अनियमितता का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान उन्होंने यह बात कही।
न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा, नारियल को कैसे तोड़ा जाए या आरती कैसे करें, इस बारे में अदालतें कैसे हस्तक्षेप कर सकती हैं? मंदिर के दिन-प्रतिदिन के रीति-रिवाज कुछ ऐसी चीज नहीं हैं, जिसमें संवैधानिक अदालतें शामिल हो। उन्होंने कहा, अगर प्रशासन में भेदभाव या दर्शन की अनुमति नहीं देने जैसे मुद्दे हैं, तो अदालतें हस्तक्षेप कर सकती हैं। सीजेआई ने यह भी बताया था कि उनका परिवार भी बालाजी भक्त था। मुख्य न्यायाधीश रमना ने तब कहा था, मैं, मेरे भाई, मेरी बहन, हम सभी बालाजी भक्त हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने मंदिर प्रशासन को निर्देश दिया कि अगर ऐसे कोई मुद्दे हैं तो याचिकाकर्ता को आठ सप्ताह के भीतर जवाब दें। बता दें कि तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (टीटीडी) जो मंदिर (भगवान वेंकटेश्वर के प्रसिद्ध पहाड़ी मंदिर) का प्रशासन देखता है और उसने पहले शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि परम पावन रामानुजाचार्य द्वारा सही जांच और संतुलन की शुरुआत की गई है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वैखानस आगम सेवा/उत्सव सख्ती से आयोजित किए जाते हैं।
तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम ने यह भी कहा कि धार्मिक कर्मचारियों और मंदिर के अन्य पुजारियों द्वारा अनुष्ठान अत्यंत ईमानदारी, विश्वास और भक्ति के साथ किया जाता है। आपको बता दें कि याचिकाकर्ता श्रीवारी दादा ने तर्क दिया था कि यह मुद्दा मौलिक अधिकारों से संबंधित है।
पिछली सुनवाई के दौरा सितंबर में मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को सलाह दी थी कि भगवान बालाजी के भक्त के रूप में उन्हें और अधिक धैर्य दिखाना चाहिए। सीजेआई ने कहा था, आप भगवान बालाजी के भक्त हैं। बालाजी के भक्तों में धैर्य है। आपके पास धैर्य नहीं है।
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