इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए-एनआरसी के खिलाफ धरना, जहांगीरपुरी में हनुमान जंयती पर निकली शोभायात्रा में हुई हिंसा से लेकर कर्नाटक का हिजाब विवाद अक्सर आपने इन सभी मामलों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) यानी PFI का नाम जरूर सुना होगा। कर्नाटक में हिजाब विवाद में तो बीजेपी और हिंदू संगठनों ने PFI पर मुस्लिम छात्राओं को भड़काने का आरोप लगाया था। तो आखिर ये PFI क्या है, जिसका लगभग हर हिंसा में नाम सबसे पहले उछाल कर सामने आता है। चलिए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
तीन संगठनों से मिलकर बना PFI
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों को मिलकर बनाया गया था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए। PFI शुरू से ही खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है। PFI ने आजतक अपने सदस्यों की जानकारी नहीं दी है। लेकिन संगठन दावा करता है कि 20 राज्यों में उसकी यूनिट है। शुरुआत में PFI का हेडक्वार्टर केरल के कोझिकोड में था, लेकिन बाद में इसे दिल्ली शिफ्ट कर लिया गया। ओएमए सलाम इसके अध्यक्ष हैं और ईएम अब्दुल रहीमान उपाध्यक्ष।


PFI की अपनी यूनिफॉर्म भी है। हर साल 15 अगस्त के दिन PFI फ्रीडम परेड का आयोजन करता है। 2013 में केरल सरकार ने इस परेड पर रोक लगा दी थी। जिसका कारण था PFI की यूनिफॉर्म में पुलिस की वर्दी की तरह ही सितारे और एम्बलम।
विवादों से घिरा रहता है PFI
देश में कही भी विवाद हो और उसमे PFI का नाम ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता। PFI के कार्यकर्ताओं पर आतंकी संगठनों से कनेक्शन से लेकर हत्या तक के आरोप लगते रहे हैं। 2012 में केरल सरकार ने हाईकोर्ट में बताया था कि हत्या के 27 मामलों से PFI का सीधा-सीधा कनेक्शन है। इनमें से ज्यादातर मामले RSS और CPM के कार्यकर्ताओं की हत्या से जुड़े थे।


कन्नूर में जुलाई 2012 में एक स्टूडेंट सचिन गोपाल और चेंगन्नूर में ABVP के नेता विशाल पर चाकू से हमला हुआ था। इस हमले का आरोप PFI पर लगा। लेकिन गोपाल और विशाल दोनों की ही मौत हो गई। 2010 में PFI के SIMI से कनेक्शन के आरोप भी लगे। उस समय PFI के चेयरमैन अब्दुल रहमान थे, जो SIMI के राष्ट्रीय सचिव रहे थे। PFI के राज्य सचिव अब्दुल हमीद भी SIMI के सचिव रहे थे। उस समय PFI के ज्यादातर नेता कभी SIMI के सदस्य रहे थे। PFI हमेशा से ही SIMI से कनेक्शन के आरोपों को खारिज करता रहा है।
PFI का अलकायदा और तालिबान से कनेक्शन
केरल सरकार ने साल 2012 में हाईकोर्ट में बताया था कि “PFI और कुछ नहीं, बल्कि प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का ही नया रूप है। PFI के कार्यकर्ताओं पर अलकायदा और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों से कनेक्शन होने के आरोप भी लगते रहे हैं। वहीं, PFI खुद को दलितों और मुसलमानों के हक में लड़ने वाला संगठन बताता रहा है।


अप्रैल 2013 में केरल पुलिस ने कुन्नूर के नराथ में छापा मारा जिसमें PFI के 21 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। छापेमारी में पुलिस ने दो देसी बम, एक तलवार, बम बनाने का कच्चा सामान और कुछ पर्चे बरामद किए थे। इसके बाद PFI ने बयान जारी कर दावा किया था कि “ये केस संगठन की छवि खराब करने के लिए किया गया है।” बाद में इस केस की जांच NIA के हवाले कर दी गई।
उत्तर भारतीयों को भेजे धमकी भरे मैसेज
2012 के जुलाई-अगस्त महीने में असम में भयानक दंगे हुए थे। ये दंगे स्थानीय बोडो समुदाय और मुस्लिमों के बीच हुए थे। इन दंगों के बाद दक्षिण भारत में उत्तर भारतीयों के खिलाफ कैंपेन शुरू हुआ। जिसमें उत्तर भारतीयों को हजारों मैसेज भेजे गए। इन धमकी भरे मैसेज की वजह से दक्षिण भारत में रहने वाले उत्तर भारतीयों को कुछ इलाकों से जाना पड़ा। जांच में सामने आया कि मैसेज उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HuJI) और PFI की ओर से भेजे गए थे।


रिपोर्ट्स के आंकड़ों के मुताबिक, 13 अगस्त 2012 को एक दिन में 6 करोड़ से ज्यादा मैसेज भेजे गए थे। इनमें से 30% मैसेज पाकिस्तान से आए थे। इसे SMS Campaign भी कहा जाता है, जिसका मकसद था उत्तर भारतीयों में डर पैदा करना और उन्हें भगाना। बेंगलुरु से ही तीन दिन में 30 हजार से ज्यादा उत्तर भारतीयों ने पलायन किया था।
जनवरी 2020 में जब देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन और हिंसा में तब तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसमें PFI की भूमिका होने का दावा किया था। PFI ने इन प्रदर्शनों में उसका हाथ होने की बात सिरे से खारिज कर दी थी।
स्टिंग ऑपरेशन में भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने की बात कबूली
PFI पर अक्सर धर्मांतरण के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन संगठन हमेशा ही इन आरोपों को खारिज कर देता है। 2017 में एक स्टिंग ऑपरेशन में PFI के संस्थापक सदस्यों में से एक अहमद शरीफ ने कबूल किया था कि उनका मकसद भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना है।


जब शरीफ से पूछा गया कि क्या PFI और सत्या सारणी (PFI का संगठन) का छिपा मकसद भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने का है? तो इस पर उसने कहा, “पूरी दुनिया, सिर्फ भारत ही क्यों? भारत को इस्लामिक स्टेट के बनाने के बाद हम दूसरे देशों की तरफ जाएंगे।”
PFI को विदेशों से होती फंडिंग
इस स्टिंग ऑपरेशन में शरीफ ने ये भी कबूल किया था कि उसे मिडिल ईस्ट देशों से 5 साल में 10 लाख रुपए की फंडिंग हुई है। शरीफ ने कहा था कि “PFI और सत्य सारणी को 10 लाख रुपए से ज्यादा की फंडिंग मिडिल ईस्ट देशों से हुई थी और ये पैसा उसे हवाला के जरिए आया था।”


जनवरी 2020 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच के बाद दावा किया था कि 4 दिसंबर 2019 से 6 जनवरी 2020 के बीच PFI से जुड़े 10 अकाउंट्स में 1.04 करोड़ रुपए आए हैं और इन खातों से 1.34 करोड़ रुपए निकाले थे। 6 जनवरी के बाद से ही CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और तेज हुए थे।
पिछले साल फरवरी 2021 में यूपी पुलिस की टास्क फोर्स ने दावा किया था कि PFI को दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों से फंडिंग होती है। लेकिन विभाग ने उन देशों के नाम नहीं बताये थे।
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