India News (इंडिया न्यूज़), Mewat Riots: हरियाणा के मेवात हिंसा में जातीय संहार जैसी कोर्ट की टिप्पणी मामले के बाद अब समुदाय विशेष के 300 से ज्यादा परिवारों के पलायन का मामला पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच चुका है। एडवोकेट मोहम्मद अरशद के जरिए जिला परिषद सदस्य याहुदा मोहम्मद ने अर्जी दाखिल कर मामले में पक्ष बनाने की मांग की है। हाईकोर्ट इस अर्जी पर जल्द सुनवाई करेगा।
सैकड़ों परिवारों की रक्षा की मांग पर न्यायालय में अर्जी
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को मेवात में 200 से ज्यादा निर्माण गिराने के मामले का संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। अदालत ने कहा था कि सवाल ये भी उठता है कि किसी विशेष समुदाय को कानून और व्यवस्था की आड़ में निशाना तो नहीं बनाया जा रहा है। इसके साथ ही कहीं सरकार की निर्माणों पर यह कार्रवाई कोई जातीय संहार तो नहीं है। इन सभी टिप्पणियों के बाद मेवात से अब बाकी के राज्यों में पलायन कर रहे सैकड़ों परिवारों की रक्षा की मांग को लेकर न्यायालय में अर्जी दाखिल की गई है।
बिना नोटिस पुलिस ने सैकड़ों निर्दोषों को लिया हिरासत में
मामले में हाईकोर्ट को ये बताया गया कि कार्रवाई के नाम पर पुलिस ने बिना किसी को नोटिस दिए सैकड़ों निर्दोषों को हिरासत में ले लिया है। मेवात और नूंह के अन्य इलाकों में दशकों पुराने निवासियों को जबरदस्ती वहां से बेदखल किया जा रहा है। अदालत में दाखिल हुई अर्जी में ये कहा गया है कि एक समुदाय के सदस्यों के बहिष्कार का पंचायतों ने फैसला किया। वहीं उस समुदाय के लोगों को प्रतिष्ठान, दुकान और मकान किराये पर न देने की अपील की जा रही है।
गांवों में प्रवेश से पहले देखे जा रहे पहचान पत्र
इसके साथ ही गांवों में सड़क पर सामान बेचने वालों के प्रवेश से पहले उनके पहचान पत्र देखे जा रहे हैं। रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और झज्जर में सामूहिक रूप से जिला प्रशासन और पुलिस को पत्र लिखकर समुदाय के सदस्यों का बहिष्कार करने के निर्णय के बारे में सूचित किया गया है।
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