India News (इंडिया न्यूज), Ladakh Voting: दफ़ा 370 टूटने और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार हिल डेवलपमेंट कौंसिल के चुनाव हुआ। जिसमें 4 अक्तूबर को 77.61 % वोटिंग हुई। जिसकी गिनती रविवार 8 अक्तूबर को की जाएगी। इस बार हुए हिल डेवलपमेंट कौंसिल के चुनावों में कौंसिल की 26 सीटों पर 85 उम्मीदवार चुनाव मैदान उतरे है।
लद्दाख लंबे तक लड़ रहा था डिस्क्रीमिनेशन की लड़ाई
जम्मू कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बनने में बाद पहली बार चुनावी के लिए क़तारों में लगकर वोट डालने वाले लोगों के लिए यह पल ख़ास था। वहीं जो पहली बार वोट डालने पहुँचे थे, उनका कहना था कि लद्दाख लंबे तक डिस्क्रीमिनेशन की लड़ाई लड़ रहा था। अब हमारी अलग पहचान है और उम्मीद है कि हमारे हक हम तक पहुँचेगे। वहीं जब लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनाने से जब कुछ लोग खुश हैं। तो वही 71 साल की ज़ाहिद बानो ने कहा कि 370 के टूटने के बाद हमारी पहचान ख़त्म ही गई है।
नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और भाजपा में कड़ा मुक़ाबला
लद्दाख में हिल डेवलपमेंट कौंसिल के चुनावों में इस बार नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और भाजपा में कड़ा मुक़ाबला माना जा रहा है। इन चुनावों के नतीजों को जम्मू कश्मीर से लड़ाख को अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फ़ैसले के बाद लोगों की मुहर की तरह भी माना जा रहा है।
चुनावों के प्रचार के दौरान जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता ओमर अब्दुल्ला ने भी लोगों से कहा था कि आप इन चुनावों में केन्द्र सरकार को साफ़ संदेश दे दें कि आप सरकार के 5 अगस्त 2019 के फ़ैसले के साथ है या उनके ख़िलाफ़।
नेशनल कांफ्रेंस को लड़नी पड़ी क़ानूनी लड़ाई
पूर्व में कारगिल नेशनल कान्फ्रेंस का भाड़ रहा है। कारगिल की धार्मिक संस्था ज़माइते उलेमा कारगिल जिसे इस्लामिक स्कूल के टूर पर भी जाना जाता है। जबकि कारगिल के ही इमाम खुमेनी मेमोरियल ट्रस्ट को कांग्रेस का नेशनल कांफ्रेंस का सहयोगी माना जाता है।
इससे पहले लद्दाख प्रशासन द्वारा ललद्दाख में होने वाले हिल डेवलपमेंट के चुनावों के लिए नेशनल कांफ्रेंस और उनका चुनाव चिन्ह हल ना मिलने के बाद नेशनल कांफ्रेंस को क़ानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। और फिर सुप्रीम कोर्ट ने लद्दाख प्रशासन के फ़ैसले को दरकिनार कर दिया था। पहले यह चुनाव 10 सितंबर को होना था।
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