India News(इंडिया न्यूज),Lucknow News: रामचरितमानस से जुड़े प्रकरण के बाद अब समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एक बड़े वर्ग की आस्था पर चोट पहुंचाने वाली एक टिप्पणी देवी लक्ष्मी पर आई है।समाजवादी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की देवी-देवताओं पर टिप्पणियां मीडिया जगत में लगातार सुर्खियां बटोर रही हैं।

सवाल उठना तो लाजमी

बीजेपी इनके जरिये समाजवादी पार्टी पर हमलावर है। तो खुद समाजवादी नेता भी इनको लेकर अब सवाल उठा रहे हैं। उनका यह मानना है कि इस तरह से कटाक्ष कर स्वामी प्रसाद बैठे-बिठाए समाजवादी पार्टी के खिलाफ बीजेपी को मुद्दे मुहैया करा रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना तो लाजमी है कि कहीं स्वामी प्रसाद मौर्य सपा की चुनावी रणनीति पर पानी न फेर दें।

बड़े वर्ग की आस्था पर चोट

रामचरितमानस से जुड़े प्रकरण के बाद अब समाजवादी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बड़े वर्ग की आस्था पर चोट पहुंचाने वाली एक टिप्पणी माँ लक्ष्मी पर आई है। दिवाली के मौके पर आई इस टिप्पणी पर सपा प्रवक्ता आईपी सिंह कहते हैं कि इस तरह से मौर्य पार्टी को नुकसान पहुंचाना बंद करें। पांच साल तक जब वह योगी-1 सरकार में मंत्री रहे, तब तो माँ लक्ष्मी-गणेश के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करते हुए डरते थे।

कृष्ण व शिव में हमारी आस्था

कुछ समय पहले ही समाजवादी पार्टी के मुख्य महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव भी कह चुके हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य का वो कद नहीं कि उनके बयानों पर वह टिप्पणी करें। साथ ही यह भी कहा था कि कुछ लोग मूर्खता की बात कर रहें हैं। हम तो सनातनी हिंदू हैं और राम, कृष्ण व शिव में हमारी आस्था है।

मौर्य के यह निजी बयान

समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि ये स्वामी प्रसाद मौर्य के यह निजी बयान हैं। समाजवादी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है। इन बयानों से पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है। इन मुद्दों पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं है, जिसको लेकर भाजपा उन पर लगातार हमला कर रही है।

धर्म का प्रभुत्व काफी बढ़ा

यूपी के मामलों के जानकार (JNU) से सेवानिवृत्त प्रो. रवि श्रीवास्तव मानते हैं कि उत्तर भारत और खासकर यूपी की राजनीति में धर्म का प्रभुत्व काफी बढ़ा है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मध्य प्रदेश चुनाव के दौरान माँ नर्मदा के दर्शन करते हैं, उनकी पत्नी डिंपल यादव हाल ही में केदारनाथ के दर्शन करके लौटी हैं। राहुल और प्रियंका गांधी भी मंदिरों में जाकर तिलक लगाना नहीं भूलते। ऐसे में स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण को बढ़ावा ही देंगे।

चुप्पी के पीछे भी खास रणनीति

राजनीतिकके जानकार लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक विभाग के प्रो. संजय गुप्ता कहते हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य के हिंदू धर्म की आलोचना संबंधी बयानों पर सपा के शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी के पीछे भी खास रणनीति है। समाजवादी पार्टी दलितों को अपने साथ लाना चाहती है। स्वामी प्रसाद के सहारे इस काम को अंजाम देने का उसका इरादा है, क्योंकि उनकी बसपा की पृष्ठभूमि रही है। ज्योतिबा फुले और पेरियार सहित सभी प्रमुख दलित समाज सुधारकों ने धर्म के नाम पर होने वाले आडंबरों पर निशाना साधा।

ये भी पढ़े