इंडिया न्यूज़, भुवनेश्वर (ओडिशा): ओडिशा ने स्वास्थ्य अधिकारियों को सतर्क रहने के लिए कहा है क्योंकि देश में अब तक चार मंकीपॉक्स मामले सामने आए है, एक दिल्ली में और तीन केरल में। ओडिशा के जन स्वास्थ्य निदेशक डॉ निरंजन मिश्रा ने बुधवार को कहा कि सभी जिलों को उच्च जोखिम वाले देशों की यात्रा के इतिहास वाले लोगों पर नजर रखने और सतर्क रहने के लिए कहा गया है। साथ ही ओडिशा के सभी जिलों को अलर्ट पर रखा गया है।
वैक्सीन बनाने पर जोर
भारत के कुछ हिस्सों से मंकीपॉक्स के मामले सामने आने के कुछ दिनों बाद, केंद्र सरकार ने मंकीपॉक्स वायरस के खिलाफ एक वैक्सीन विकसित करने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) आमंत्रित किया। सरकार ने मंकीपॉक्स के टीके, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में डायग्नोस्टिक किट विकसित करने के लिए ईओआई जारी किया।
ईओआई जमा करने की ये है अंतिम तिथि
केंद्र ने मंकीपॉक्स के खिलाफ एक वैक्सीन उम्मीदवार विकसित करने और इस संक्रमण के निदान के लिए डायग्नोस्टिक किट के विकास में संयुक्त सहयोग के लिए अनुभवी वैक्सीन निर्माताओं, और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (आईवीडी) किट निर्माताओं से ईओआई को आमंत्रित किया है। ईओआई जमा करने की अंतिम तिथि 10 अगस्त है।
भारत में इन जगहों पर मिले केस?
- पहला, केरल के कोल्लम का रहने वाला एक 35 साल का शख्स 12 जुलाई को यूएई की यात्रा कर लौटा था। इसके बाद वह मंकीपॉक्स पॉजिटिव पाया गया।
- दूसरा, केरल के कन्नूर शहर में 31 साल का एक शख्स 13 जुलाई को दुबई से लौटा था। बाद में मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया।
- तीसरा, केरल के ही मल्लपुरम में एक 35 साल का शख्स यूनाइटेड अरब अमीरात से 6 जुलाई को लौटा था, बाद में उसमें भी मंकीपॉक्स वायरस मिला।
- चौथा, दिल्ली में बिना विदेश गए 34 साल का एक मरीज पॉजिटिव मिला है। हालांकि, ये शख्स मनाली में एक पार्टी में शामिल होकर कुछ दिनों पहले लौटा था। वहीं दिल्ली में बिना विदेश यात्रा के केस मिलने के बाद लोगों में खौफ बढ़ गया है।
क्या कोरोना की तुलता में ज्यादा घातक है मंकीपॉक्स?
डॉक्टर कोरोना की तुलना में मंकीपॉक्स को कम खतरनाक मानते हैं। इसके पीछे डॉक्टरों के दो तर्क हैं। पहला मंकीपॉक्स कोरोना से कम खतरनाक है, क्योंकि कोरोना में राइबोन्यूक्लिक एसिड यानी वायरस होते हैं। यह अपने रूप को तेजी से बदल सकता है। इसी वजह से यह तेजी से फैलता है। वहीं, मंकीपॉक्स में डीआॅक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड वायरस होता है। डीएनए एक स्टेबल वायरस है, जो तेजी से रूप नहीं बदल सकता है। इसी वजह से इसके फैलने की रफ्तार कम है।
दूसरा बात ये है कि कोरोना वायरस लक्षण नहीं होने पर भी दूसरे को संक्रमित करता है। ऐसे में तेजी से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ते हैं। वहीं, मंकीपॉक्स में लक्षण सामने आने पर दूसरे व्यक्ति को संक्रमण फैलता है। इसी वजह से बेहतर सर्विलांस के जरिए इस बीमारी को आसानी से फैलने से रोका जा सकता है।