India News (इंडिया न्यूज़), Rana Yashwant: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली आए और पटना लौट गए। ना किसी से मिले और कोई बात की, शरद पवार ने जब से पुणे में भतीजे अजित पवार के साथ एक कारोबारी के घर पर मुलाकात की है, तब से उनको लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।

मोदी के मुकाबले में 26 दलों का मोर्चा तैयार

इधर दिल्ली में कांग्रेस नेता अलका लांबा के बयान के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में पैचअप की कोशिशें हुईं तो जरुर हैं, लेकिन लकीर साफ दिख रही है। ये तीनों घटनाएं मोदी के मुकाबले में 26 दलों का जो मोर्चा तैयार हुआ है। उसके लिए शुभ संकेत नहीं हैं। यह इस बात का इशारा है कि ‘इंडिया’ बिना गोलपोस्ट के मैच खेल रहा है। नीतीश कुमार ने बुधवार को अरविंद केजरीवाल के जन्मदिन पर बाकायदा चिट्ठी लिखकर उनको बधाई दी थी। उसी दिन वे दिल्ली भी आए। इसलिए माना जा रहा था कि वे केजरीवाल से जरुर मिलेंगे। लेकिन नहीं मिले।

अपनी भूमिका साफ करना चाहते थे नीतीश

राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से भी नीतीश कुमार के मुलाकात की उम्मीद थी, लेकिन वहां भी बात नहीं हुई। बताया यह जा रहा है कि 31 अगस्त और 1 सितंबर को इंडिया अलायंस की प्रस्तावित बैठक से पहले नीतीश अपनी भूमिका साफ करना चाहते थे। केजरीवाल और कांग्रेस अलाकमान से उनकी मुलाकात इसी मकसद से होनी थी। मगर जब वो दिल्ली में थे तभी कांग्रेस औऱ आप के बीच तलवारें तन गई।

आम आदमी पार्टी के दो नेता भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं: अलका लांबा

कांग्रेस नेता अलका लांबा के बयान और फिर आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ के पलटवार ने दोनों दलों के बीच माहौल बिगाड़ दिया। दरअसल कांग्रेस की दिल्ली इकाई की चुनाव तैयारियों के लिए बैठक हुई थी। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, दिल्ली के प्रभारी दीपक बावरिया मौजूद थे। इसी बैठक से निकलकर अलका लांबा ने कहा था कि हमें दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों की तैयारी करने के लिए कहा गया है। लगे हाथ उन्होंने यह भी कह दिया कि आम आदमी पार्टी के दो नेता भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं। शिकंजा अरविंद केजरीवाल पर भी कस सकता है।

आग दब तो गई लेकिन धुआं दिख रहा है…

प्रियंका कक्कड़ ने आम आदमी पार्टी की तरफ से जवाब दिया कि अलका बड़बोली हैं औऱ इसी वजह से उनको आम आदमी पार्टी से निकाला गया था। बाद में दीपक बावरिया ने माहौल संभाला। आम आदमी पार्टी की तरफ से मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी कहा कि ऐसे बयानों का कोई मतलब नहीं है, जब दोनों दलों के सीनियर नेता बैठेंगे तो फैसला सबको मानना होगा। आग दब तो गई लेकिन धुआं दिख रहा है।

हमारी लड़ाई बीजेपी के साथ है: अलका लांबा

कांग्रेस औऱ आम आदमी पार्टी दोनों दिल्ली औऱ पंजाब में अपनी अपनी जमीन को कमजोर होने देना नहीं चाहतीं। अलका ने बैठक से बाहर निकलकर जो बात कही कि हमारी लड़ाई बीजेपी के साथ है मगर हमारा वोट बैंक आम आदमी पार्टी की तरफ गया है, वह यूं ही नहीं था। कांग्रेस की बैठक में यह चिंता जाहिर की गई थी। इसी तनातनी के बीच नीतश कुमार दिल्ली में थे। संभव है उन्होंने ही बात करना मुनासिब नहीं समझा होगा या फिर दोनों दलों की तरफ से कह दिया गया होगा कि फिलहाल नहीं मिलते हैं।

पटना लौटकर कहा कि आंख का रुटीन चेकअप कराने दिल्ली गए थे: नीतीश कुमार

महाराष्ट्र में शरद पवार की पुणे में अजित पवार के साथ मीटिंग को लेकर महाराष्ट्र में कांग्रेस के सीनियर लीडर औऱ पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान के हवाले से एक अखबार ने खबर छापी कि अजित पवार ने शरद पवार को दो ऑफर दिए। एक केंद्र में कृषि मंत्री बनने का या फिर नीति आयोग के चेयरमैन का पद संभालने का अगर ऐसा हुआ होगा तो जाहिर है दिल्ली से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का इशारा होगा।

भतीजे अजित पवार ने कर दी बगावत

मगर पवार ने इससे इंकार कर दिया और कहा कि ऐसी बातों में कोई दम नहीं है। बकौल पवार अजित के साथ मीटिंग में किसी ऑफर पर बात नहीं हुई। लेकिन मीटिंग तो हुई ना! शरद पवार की राजनीति को समझना अंधेरे में सुई ढूंढने जैसा है। भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी, फिर भी चार बार मिल लिए औऱ पुणे में एक कारोबारी के घर दोनों चाचा भतीजा बैठ लिए। क्या इसे महज सामान्य मुलाकात मान लिया जाए? महाराष्ट्र में शिवसेना औऱ कांग्रेस के नेता अंदरखाने समझ तो बहुत कुछ रहे हैं, बस कह नहीं पा रहे।

नीतीश कुमार का दिल्ली जाना और लौट जाना खड़ा कर रहा है सवाल

यानी नीतीश कुमार का दिल्ली से कांग्रेस औऱ ‘आप’ के नेताओं से बिना मिले लौट जाना और शरद पवार को लेकर कई तरह के संशय का पैदा होना- दोनों स्थितियां ‘इंडिया’ मोर्चे की असलियत का इशारा लिए बैठी हैं। ऊपर से कांग्रेस और ‘आप’ के बीच एक दूसरे को भांपने औऱ नापने वाला गेम चल रहा है। यह कोढ पर खाज की तरह है।

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