India News(इंडिया न्यूज), Rajasthan: मोबाइल फोन आज हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है और इसके बिना आधुनिक जीवन की कल्पना करना मुश्किल है। हालांकि कई बार ऐसी भी खबरें सामने आती हैं जब मोबाइल फोन की वजह से लोग अपना असली काम भूलकर मनोरंजन में लग जाते हैं। इस बात पर भी बहस चलती रहती है कि कार्यस्थल पर मोबाइल फोन का किस स्तर तक इस्तेमाल होना चाहिए। इन्हीं सारी बहसों के बीच राजस्थान के स्कूल शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सोमवार को कहा कि मोबाइल फोन एक ‘बीमारी’ बन गया है और शिक्षकों को इसे स्कूलों के अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। न सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि अब ये शिक्षकों पर भी लागू होता है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला..
शिक्षकों पर लगी पाबंदी
मंत्री ने अपने बयान में कहा कि शिक्षा विभाग पिछले आदेशों को लागू करने का प्रयास कर रहा है और स्कूलों में माहौल सुधारने के भी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विभाग का प्रयास है कि कोई भी शिक्षक प्रार्थना के बहाने स्कूल छोड़कर न जायें। उन्होंने कहा, ‘स्कूल के अंदर कोई भी मोबाइल फोन नहीं ले जाएगा। अगर वे गलती से भी ले जाते हैं तो उन्हें इसे प्रिंसिपल के पास जमा कराना होगा।’ बता दें कि देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें आती रही हैं जिनमें कई कर्मचारी मोबाइल फोन की लत के चलते अपने कार्यों से विमुख पाए गए हैं। कई टीचर्स ऐसे भी हैं जो सोशल मीडिया पर छात्रों के साथ वीडियो बनाकर डालते हैं जो कि बच्चों पर गलत प्रभाव डालता है। ये एक प्रमुख कारण है कि राजस्थान सरकार ने ये कदम उठाया।
इस कारण उठाया गया ये कदम
बता दें कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर हिंसा की कई ऐसी खबरें सामने आई हैं जिन्होंने इस मुद्दे पर सोचने को मजबूर कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के खैरागढ़-छुईखदान-गंडई (केसीजी) जिले में कथित तौर पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के लिए डांटने पर 14 वर्षीय लड़की ने अपने बड़े भाई की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि छुईखदान थाना क्षेत्र के अमलीडीहकला गांव में हुई इस घटना के बाद पुलिस ने लड़की को शनिवार को हिरासत में ले लिया। बता दें कि लड़की के 18 साल के भाई देवप्रसाद वर्मा ने उसे फोन पर लड़कों से बात करने के लिए डांटा था, जिसके बाद उसने यह खतरनाक कदम उठा लिया। ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं हालांकि ये बढ़ भी सकते हैं अगर जल्द ही इसे लेकर अगर नियम न लागू किए जाएं तो।