India News (इंडिया न्यूज़), Abhishek Sharma, Mumbai News: शरद पवार देश के ऐसे राजनेता है, जिनके बारे में कहा जाता है की केंद्र में जिस पार्टी की सत्ता होती है। शरद पवार हमेशा उसी के साथ ही होते हैं, अतीत में ऐसा देखा भी गया है। अब हाल ही देश ने देखा है की जब से अजीत पवार बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र की सरकार में शामिल हुए हैं तब से शरद पवार के बारे में कहा जा रहा है की उन्ही की मर्जी से सब कुछ हुआ है, और हो रहा है।
पिछले कुछ दिनों से शरद पवार के खिलाफ अजीत पवार गुट के लोग काफी आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए हैं। छगन भुजबल ने तो पब्लिक रैली में यहां तक कह दिया की बीजेपी के साथ क्या क्या बात करनी है, और क्या नहीं ये सब शरद पवार ने ही समझाया था। या यूं कहे तो शरद पवार ने इसके लिए क्लास ली थी। तो इससे साफ हो जाता है की शरद पवार की कथनी और करनी में बहुत ही अंतर है। एक तरफ तो वो कहते हैं की अजीत पवार ने अपने मन से किया यानी धोखा दिया, तो कभी कहते हैं की अजीत पवार तो हमारे नेता हैं तो कभी कहते हैं की मैने तो ऐसा कहा ही नहीं यानी जब मन में आता है, शरद पवार अपने बयान से पलट जाते हैं और फिर उस पर बवाल शुरू हो जाता है।
शरद पवार को नरेंद्र मोदी मौसम वैज्ञानिक क्यों कहते हैं
लेकिन यहां समझने वाली बात यह है की शरद पवार हमेशा ऐसे कुछ विवादित बयान अपनी ही पार्टी को लेकर बयान क्यों देते हैं, जिसको लेकर हमेशा एक बड़ा विवाद खड़ा हो जाता है। और यही कारण है कि जब से अजीत पवार ने बीजेपी के साथ सरकार बनाई है, तब से महाराष्ट्र के राजनीति में बड़ा राजनीतिक बवाल देखने को मिल रहा है, या यूं कहें की राजनीति के चाणक्य जिनका नाम शरद पवार है, जिन्हें नरेंद्र मोदी जो देश के प्रधानमंत्री हैं वह मौसम वैज्ञानिक भी कहते हैं राजनीति के वह मौसम वैज्ञानिक को क्या पता नहीं कि अजित पवार क्या करने वाले हैं, उनकी ही पार्टी में कितने लोग उनसे बगावत करने जा रहे हैं यह सब कुछ शरद पवार जानते समझते थे बावजूद इसके वह अब यह कह रहे हैं कि उन्हें पता नहीं हैं।
आए दिन ऐसे बयान दे रहे हैं जिसे लेकर महाराष्ट्र की जनता या फिर देश की जनता हमेशा भ्रमित रहे और वह यह सोचे कि शरद पवार के साथ गलत हुआ है लेकिन हमारे सूत्र बताते हैं की ये सब शरद पवार की ही देन है। शरद पवार के कारण ही यह सब महाराष्ट्र की राजनीतिक में हो रहा है। अब आप जानना जरूर चाहेंगे कि आखिरकार शरद पवार यह सब क्यों कर रहे हैं, तो यहां बताना जरूरी है शरद पवार यह सब इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि वह दोनों की सवारी कर रहे हैं यहाँ जोर देकर कहना चाहेंगे कि शरद पवार दो नाव की सवारी करना चाहते हैं, यानी अगर एक नाव डूबी तो दूसरे नाव पर सवार होकर वह आगे निकल सके।
शरद पवार करना चाह रहें दो नाव की सवारी
अब आप सोचेंगे कि आखिरकार दोनों कौन सी तो एक नाव है बीजेपी के साथ यानी एनडीए के साथ दूसरी नाव में इंडिया के साथ। अगर 2024 की चुनाव में इंडिया की हालत खराब हुई तो वह एनडीए के साथ यानी मोदी के साथ जा सकते हैं। उनके लिए रास्ता खुला होगा क्योंकि अजीत पवार पहले से वहां पर मौजूद है अगर कुछ गड़बड़ी हुआ तो वह इंडिया के साथ हो लेंगे, क्योंकि इंडिया के साथ तो पहले से ही वह मौजूद है। तो यही कारण है कि वह सीट शेयरिंग यानी इंडिया के साथ जो सीट शेयरिंग का बंटवारा होगा उसमें यह बताना चाहते हैं कि उनके पास काफी लोग मौजूद हैं एनसीपी के और यही कारण है कि उनकी सीट शेयरिंग बढ़ सके। सच्चाई तो यह है कि शरद पवार के पास आज संख्या बल के मुताबिक बहुत कम लोग बचे हैं, यानी 54 जो विधायक हैं वह सभी के सभी आज अजीत पवार के साथ हैं खुद छगन भुजबल ने इस बात की जानकारी रैली में दी है, कि सभी लोगों ने साइन करके दिए हुए हैं कि हां सभी लोग अजीत पवार के साथ है। तो सवाल यह खड़ा होता है कि आखिरकार शरद पवार के पास है कितने लोग हैं, तो सवाल का जवाब यह है कि कोई नहीं खड़ा है।
शरद पवार पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा है
तो सवाल शरद पवार के अकेले खड़े हैं या दिखा रहे हैं सब कुछ यह अपने आप में एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है और यही कारण है कि शरद पवार जो तमाम कदम उठा रहे हैं उसे पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है कि शरद पवार कहीं न कहीं एनडीए से या यू कहीं भाजपा के साथ मिलकर बहुत बड़ी राजनीति कर रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि शरद पवार इंडिया की बैठक जो मुंबई में खासतौर से होने जा रही है उसमें अच्छी तरीके से लोगों की मेजबानी कर सकें देखरेख कर सके उनकी अच्छी वहां पर पहुंचे हो अच्छी उनको इज्जत मिले इसलिए भी यह सब कर रहे हैं। शरद पावर इंडिया के नेताओं को ये बताना चाहते हैं की उनके साथ तमाम लोग मौजूद हैं।
रद पावर की इज्जत बरकरार?
और ऐसा करने से शरद पावर की इज्जत बरकरार रहे इंडिया में वो बड़े नेता हैं और जब सीटों का बंटवारा हो तो शरद पवार अपनी झोली में अधिक सीट डलवा सकें। लेकिन सवाल बार-बार यह खड़ा हो रहा है कि आखिरकार कर पवार बार-बार अपने बयान बदल रहे हैं अपने बयान से पलट रहे हैं क्यों ऐसा कर रहे हैं। आखिरकार क्या मजबूरी है उनकी। ये मजबूरी है या फिर वह अपनी हनक इंडिया और एनडीए दोनों में भी बनाए रखना चाहते हैं। ताकि एक नाव डूबे तो दूसरी नाव के तहत या दूसरी नाव के सहारे वह अपनी नैया जो माजधार में डूबेगी कही भी वह पर लगा सके।
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