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पंजाब कांग्रेस में फूट : Sonia के ‘Sorry’ बोलते ही क्यों टूटा कैप्टन का मनोबल

Sameer Saini • LAST UPDATED : September 19, 2021, 7:30 am IST

प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर शनिवार सुबह कैप्टन ने सोनिया गांधी से की थी फोन पर बात
कांग्रेस सुप्रीमों से बात करने के बाद ही बना लिया था इस्तीफे का मन
इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
शनिवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह को जो कुछ करना पड़ा शायद उसके बारे में उन्होंने शुक्रवार रात तक सोचा भी नहीं था। कैप्टन अमरिंदर सिंह पार्टी के प्रति अपने स्मर्पण भाव से पूरी तरह आशावान थे कि केंद्रीय हाईकमान प्रदेश में उनकी तरफ से पार्टी के लिए किए गए कार्य को देखते हुए ऐसा कोई फैसला नहीं लेगा जिससे उनको दुख हो। यही कारण था कि शनिवार सुबह जब मीडिया या अन्य सूत्रों से कैप्टन को सिद्धू और विधायक दल की होने वाली बैठक में अपने साथ होने वाले अविश्वास प्रस्ताव के बारे में पता चला तो उन्होंने सोनिया गांधी से फोन पर बात की। बात करने के दौरान जब कांग्रेस सुप्रीमों ने सीएम को शाम को होने वाली बैठक के परिणाम बारे बताया होगा तो कैप्टन के सम्मान को आज्ञात पहुंचा। इसके बाद उन्होंने सीएम का पद छोड़ने का मन बना लिया

Sonia के कहने पर कांग्रेस में लौटे थे कैप्टन

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सीएम की कुर्सी छोड़ चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह जल्द ही कांग्रेस को भी छोड़ देंगे। ज्ञात रहे कि कभी सोनिया गांधी के कहने पर ही कैप्टन कांग्रेस में लौटे थे। कैप्टन ने पंजाब में कांग्रेस को मजबूत किया। जिसके चलते पार्टी 2002 और 2017 में कैप्टन की अगुवाई में ही सत्ता तक पहुंची। पंजाब कांग्रेस की मौजूदा लीडरशिप पर नजर डाली जाए तो कैप्टन इकलौते ऐसे लीडर हैं, जिन्हें खुद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी सियासत में लेकर आए। कैप्टन एक बार पहले कांग्रेस छोड़ चुके हैं, मगर उसके 14 साल बाद वह सोनिया गांधी के आग्रह पर दोबारा पार्टी में लौटे और वो भी कांग्रेस को मजबूत करने के नाम पर।

मोदी की लहर को पंजाब में थामे रखा

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान जब पूरे देश में मोदी की लहर थी तब कैप्टन ने पंजाब में कांग्रेस का किला नहीं ढहने दिया। कैप्टन ने अपने दम पर प्रदेश की राजनीति को थामे रखा और लोकसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा सीटें कांग्रेस की झोली में गई। देश में इस चुनाव के दौरान जहां कहीं कांग्रेस खुद को सुरक्षित रखने में कामयाब रही पंजाब उनमें से एक राज्य था।

सोनिया के कहने पर अमृतसर से लड़ा चुना

2014 लोकसभा चुनाव में भी देश में परिवर्तन का दौर था कांग्रेस के मुकाबले मोदी की लहर कहीं ज्यादा प्रचंड थी। उस समय अकाली दल के आग्रह पर भाजपा ने अमृतसर से अपने मौजूदा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू का टिकट काटकर अरुण जेटली को मैदान में उतारा। उस समय कांग्रेस के पास जेटली के सामने कोई दमदार चेहरा नहीं था, इसलिए सोनिया गांधी ने अंतिम समय में कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनाव लड़ने को कहा। कैप्टन ने सोनिया गांधी के आदेश पर न सिर्फ चुनाव लड़ा बल्कि अरुण जेटली को एक लाख से अधिक वोटों से शिकस्त भी दी।

10 साल बाद कैप्टन ने दिलाई कांग्रेस को सत्ता

पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव से सालभर पहले तक, राहुल गांधी के खासमखास प्रताप बाजवा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे और उनका कैप्टन से छत्तीस का आंकड़ा था। कैप्टन खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी चाहते थे और उनके दबाव के आगे झुकते हुए हाईकमान ने प्रताप बाजवा को हटाते हुए राज्यसभा में भेज दिया। 2016 में नवजोत सिद्धू ने भी कांग्रेस पार्टी ज्चॉइन कर ली।

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