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सुनील जाखड़ ने दिल की बात फेस बुक लाइव में जमकर निकाली भड़ास, कांग्रेंस को दी ये नसीहत…

India News Desk • LAST UPDATED : May 14, 2022, 7:08 pm IST
  • कहा-मुझे पद से हटाने वाला सोनिया गांधी का पत्र मजाक के सिवाय कुछ नहीं
  • कांग्रेंस को इस बात का चिंतन करना चाहिए 5 राज्यों में चुनाव क्यों हारी पार्टी जाखड़ ने दी नसीहत

इंडिया न्यूज, Chandigarh News। कांग्रेंस को उस समय एक और बड़ा झटका लगा जब पंजाब कांग्रेंस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ (Former Punjab Congress President Sunil Jakhar) ने कांग्रेंस को गुड बाय कहा। जाखड़ को पार्टी की अनुसाशन कमेटी की ओर से नोटिस दिए जाने के बाद से ही यह माना जा रहा था कि जाखड़ कोई बड़ा धमाका करेंगे।

क्योंकि इस नोटिस से वह काफी नाराज नजर आ रहे थे और उस समय उन्होंने कांग्रेंस को बेस्ट आफ लक कहा था। जाखड़ ने अपने फेसबुक पेज पर लाइन होकर मन की बात नाम के अपने लाइव के जरिए जहां कांग्रेंस की एक महिला नेता को अपने निशाने पर लिया वहीं पार्टी हाईकमान को भी नसीहत दी।

जाखड़ ने कांग्रेंंसी नेता अंबिका सोनी (Congress leader Ambika Soni) का नाम लेते हुए सोनिया गांधी से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंंने कहा कि कांग्रेस की बुरी हालत है और यह खटिया पर है। जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व आज चापलूसों से घिरा हुआ है।

उन्होंने कहा कि अंबिका सोनी द्वारा कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt Amarinder Singh) के इस्तीफा देने के बाद दिए बयान को लेकर हमला किया। जाखड़ ने अपने फेस बुक लाइन में काफी लंबी चौडी बाते की और अपना दर्द बयां किया।

पार्टी के कई नेताओं पर उठाया सवाल

जाखड़ ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत पर भी हमला किया और पार्टी में विवाद के दौरान उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अनुशासन कमेटी की रिपोर्ट पर उन्हें पार्टी के सभी पदोंं से हटाने का पत्र जारी किया।

यह सिवाय मजाक सिवा कुछ नहीं है। सोनिया बताएं कि मैं किस पद पर था जो मुझे हटाया गया। हकीकत यह है कि मैं पार्टी में किसी पद पर था ही नहीं। इससे ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि मेरे खिलाफ नोटिस जारी करवाने में जिस शख्स ने अहम भूमिका अदा की यह वही शख्स जो आज पार्टी अध्यक्ष के आंखों के तारा है, जो 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया करती थीं।

चिंतन शिविर को लेकर भी जाखड़ ने कसा तंज

जाखड़ ने कहा कि आज कांग्रेस चिंतन बैठक (Congress contemplation meeting) कर रही है, लेकिन क्या हकीकत में चिंतन हो रहा है, यह सबसे बड़ा सवाल है। चिंतन बैठक में इस बात को लेकर चिंतन तो हो नहीं रहा है कि उत्तर प्रदेश में 390 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को नाममात्र वोट क्यों पड़े। इतने वोट तो पंचायत के चुनाव में भी मिल जाते हैं। पंजाब में कांग्रेस 77 सीटों से 18 सीटों पर सिमट गई। इसके आरोपी कौन थे।

क्या इसे लेकर चिंतत हो रहा है। जाखड़ ने कहा अगर पंजाब में मेरे बयानों की वजह से कांग्रेस चुनाव हार गई तो राजस्थान में अशोक गहलोत जोकि न सिर्फ मुख्यमंत्री है और पार्टी के वरिष्ठ नेता है, उनके 18 विधायक मानेसर में क्यों बैठे रहे।

जिन्हें पंजाब के कल्चर के बारे में नहीं पता वह कर रहे है बातें

दुख इस बात का है दिल्ली में बैठे एक नेता जिसे पंजाब के कल्चर के बारे में शायद ज्यादा कुछ पता ही नहीं है। ऐसे नेता ने सिख कौम को यह कह कर अपमानित किया कि अगर पंजाब में कोई हिंदू मुख्यमंत्री बनता है तो आग लग जाएगी।

यह पंजाब का अपमान है। जाखड़ ने कहा कि अभी विधान सभा चुनाव होकर हटे है। यह चुनाव अपने आप में बहुत कुछ कहते है। सिखों ने अकाली दल को वोट नहीं डाली, हिंदुओं ने भाजपा को वोट नहीं डाली, दलितों ने कांग्रेस को वोट नहीं डाली, वोट पड़ी तो बदलाव को। कांग्रेस को इस बात पर चिंतन करना चाहिए।

क्या कांग्रेंस नेताओं को आपस में लड़ाना चाहती है?

जाखड़ ने कहा कि कांग्रेस ने मुझे कारण बताओ जारी किया। क्योंकि कांग्रेस अतीत को भूल रही है। वह इस बात से भी बड़ा हैरान है कि मुझे प्रदेश प्रधान के पद से यह कहकर हटाया गया कि मेरी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ काफी बनती है।

दूसरा प्रधान यह कहकर लाया गया कि इसकी कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ नहीं बनती है। फिर कैप्टन को हटाया और एससी मुख्यमंत्री बनाया। आखिर कांग्रेस चाहती क्या है। क्या वह नेताओं को आपस में लड़ाना चाहती है या उसने सोचने समझने की शक्ति को आउट सोर्स कर रखा है।

जितने प्रभारी लगे एक को छोड़ बाकी दिल्ली में बैठे एक नेता के इशारे पर लगे

पार्टी को यह ही नहीं पता कि पूर्व प्रदेश प्रधान या पूर्व सांसद होने के नाते मेरे पास कौन से ओहदे है, तो फिर मुझे उन ओहदों से हटाने का क्या मतलब है। जाखड़ ने कहा कि पार्टी को फैसला लेना चाहिए।

अगर पार्टी ने मुझे दोषी मान लिया है तो उसे मुझे तुरंत पार्टी से बाहर करने का फैसला लेना चाहिए। चिंतन तो इस बात के लिए होना चाहिए, लेकिन पार्टी सात की 8 कमेटियां बनाकर देश विदेश के मुद्दों पर चिंतन करने में जुटी है।

चिंतन इस बात पर होना चाहिए था कि पांच राज्यों में कांग्रेस की हार के कारण क्या थे, इसके जिम्मेदार कौन थे। पंजाब की ही बात कर लें तो पिछले चार विधान सभा चुनाव में शकील अहमद को छोड़ दिया जाए तो अभी तक जितने भी प्रभारी लगते रहे हैं, वह दिल्ली में बैठे एक ही नेता के इशारे पर लगे है।

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