दरअसल, हमारे समाज में आज भी लड़कियों को अपना वर या वधू चुनने की आजादी नहीं है और प्रेम विवाह और भागकर विवाह करना एक बड़े अपराध के तौर पर देखा जाता है। माउंट आबू में नक्की झील पर पीपल के पेड़ पर जहां हर साल आदिवासी समुदाय द्वारा मेला लगाया जाता है, वहीं यहां स्वयंवर की अनूठी धार्मिक रस्म का आयोजन किया जाता है, जिसमें लड़की के समुदाय को दूल्हे की गुलामी से पूरी आजादी होती है। लेकिन इसका अंदाज भी उतना ही खास है।
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माना जाता है कि इस खास परंपरा के पीछे सदियों से चली आ रही एक प्रेम कहानी है। आज भी आदिवासी समुदाय के लोग इस परंपरा को मानते है। यहां लड़कियां पहले अपनी पिता को माला पहनाती है फिर लड़के को माला पहनाती है। इस परंपरा से हर कोई दंग रह जाता है। ये जानकारी सूत्रों के आधार पर शेयर की गई है। इसका अर्थ किसी भी जाती धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।
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