India News (इंडिया न्यूज़),Ajmer Sharif Dargah: इतिहासकार डॉ सैयद लियाकत हुसैन ने दरगाह के इतिहास के बारे में कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के बारे में सब जानते हैं। वो हिंदुस्तान के बाहर से आए थे। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने जियो और जीने दो की बात की,हरविलास शारदा की किताब को लेकर कहा कि वह बहुत पढ़े-लिखे आदमी थे । मुझे हैरानी होती है यह काम उन्होंने बिना किसी ऑथेंटिसिटी के कैसे कर दिया।
अजमेर दरगाह के बारे में क्या कहते हैं इतिहासकार?
ख्वाजा साहब के बारे में सब जानते हैं । 800 सालों का इतिहास जुटाना मुमकिन नहीं है । उस समय इतनी सुविधा नहीं थी। दरगाह में हिंदुओं का बड़ा योगदान रहा है । उसे जमाने में जो सामान यहां पर आता था वह भी हिंदुओं के द्वारा लाया जाता था, हिंदुस्तान को डिवाइड नहीं किया जा सकता, हिंदुस्तान में सदियों पुरानी तहजीब है ।
याचिका को लेकर कहा कि कुछ लोग यह चाहते हैं कि बस नाम होगा, 800 सालों में अजमेर पर हिंदुओं का भी शासन रहा किसी ने ऐसी बात नहीं की , अजमेर पर हिंदू राजाओं का शासन रहा वो हिंदुत्व को समझते थे उन्होंने कभी नहीं सोचा कि यहां पर मंदिर था अब इसे ठीक कर ले, मराठों का नारा था हर हर महादेव क्या उनके अंदर धर्म के लिए श्रद्धा नहीं थी , दरगाह का इंटरनेशनल लेवल का मामला है ख्वाजा साहब का नाम हिंदुस्तान तक ही सीमित नहीं है ।इस नाम से हमारे देश की इज्जत भी होती है।
कोर्ट ने याचिका को स्वीकार किया और तीनों नोटिस सरकार को भिजवाए हैं। किसी भी मस्जिद में हिंदुओं के चिन्ह मिलते हैं तो जितनी भी बिल्डिंग में बनाई गई मजदूर हिंदुस्तानी थे समान हिंदुस्तानी था ,दिवाली पर अगर दरगाह के सामने अगर कोई दीपक जला देगा तो हम उसे मना नहीं करेंगे। दुबई सहित कई देशों में जहां पर इस्लामी कानून है वहां पर वहां पर मंदिर बनाए जा रहे हैं ।वहां पर हिंदुओं की रिस्पेक्ट की जा रही है साईं बाबा के बारे में भी कई बाते कहीं जाती हैं लेकिन वहां भी लोग श्रद्धा से जाते हैं।
याचिका पर डिप्टी मेयर नीरज जैन ने क्या कहा
अजमेर शरीफ़ दरगाह में मंदिर के दावे को लेकर बीजेपी नेता अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने कहा दरगाह को लेकर जो याचिका लगाई गई है उस पर सुनवाई हो रही है । जो भी सच है वह सामने आ जाएगा । कोर्ट अपना निर्णय करेगा पहले भी कोर्ट के द्वारा इस तरह के मामलों में फैसले लिए गए हैं । कई स्थानों पर सर्वे हुए हैं और सर्वे के बाद में सच्चाई सामने आई है ।यहां की भी सच्चाई सामने आ जाएगी ।
इसमें कोई दोराय नहीं है 800 सालों से यहां पर दरगाह है लेकिन, जिन तथ्यों को लेकर याचिका लगाई गई है इसका निर्णय कोर्ट को करना है । अयोध्या का फैसला भी न्यायालय के द्वारा हुआ है ।वहां पर मंदिर बना है विदेशी आक्रमणकारी देश में आते रहे हैं ।उन्होंने हमारे आस्था के केंद्र और मंदिर पाठशाला विश्वविद्यालय हमारे सभी केंद्रों पर हमला किया इसका उदाहरण अजमेर में भी है। अजमेर से संवाददाता विष्णु शर्मा की रिपोर्ट