India News(इंडिया न्यूज़),Baba bageshwar on ajmer dispute: अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर शिव मंदिर होने का दावा करते हुए स्थानीय अदालत में याचिका दायर की गई है। अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली है और संबंधित पक्षों, जिनमें अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) शामिल हैं, को नोटिस जारी किया है। याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह की जगह पर पहले शिव मंदिर था। याचिका के मुताबिक, इस स्थान पर धार्मिक पूजाओं के अधिकार की मांग की गई है। इसी बीच अब अजमेर दरहाग को लेकर हिंदू संगठनों की सर्वे की मांग हो रही है। इस मामले पर लोग तरह तरह के बयान दे रहे है। इसी बीच जाने-माने बाबा बागेश्वर का बयान सामने आया है। उन्हेंने अपने बयान में अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर क्या कहा है चलिए जानते है?
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि यदि वहां शिव मंदिर है तो प्राण प्रतिष्ठा और रुद्राभिषेक होना चाहिए। उन्होंने हिंदू एकता की बात करते हुए कहा कि हिंदुत्व के प्रति सकारात्मक समय आ रहा है। अपने विचारों में उन्होंने “गजवा-ए-हिंद या भगवा-ए-हिंद” की बात कही और हिंदुओं को जागरूक होने की अपील की।
अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने याचिका को सांप्रदायिक विभाजन की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि दरगाह अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन आती है और एएसआई का इससे कोई संबंध नहीं है। चिश्ती ने दरगाह को धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक बताते हुए इसे विवादों में घसीटने की कोशिशों की आलोचना की।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, जिसे ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह भी कहते हैं, सूफी परंपरा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह स्थान केवल मुसलमानों के लिए नहीं, बल्कि हिंदुओं सहित अन्य धर्मों के अनुयायियों के लिए भी आस्था का केंद्र है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु मन्नत मांगने और सूफी संत की दरगाह पर चादर चढ़ाने आते हैं।
ऐसे विवाद धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकते हैं। भारतीय समाज में इस प्रकार की संवेदनशील याचिकाओं से धर्मनिरपेक्षता और एकता को खतरा हो सकता है। अदालत ने संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है, जिससे कानूनी प्रक्रिया के तहत मामला सुलझने की संभावना है। ऐसे मामलों में ऐतिहासिक तथ्यों और पुरातात्विक साक्ष्यों का महत्व बढ़ जाता है।
ख्वाजा की दरगाह जैसे स्थान भारतीय समाज में विविधता में एकता का प्रतीक हैं। इन स्थानों पर विवाद से देश के सांप्रदायिक सौहार्द को ठेस पहुंच सकती है।यह मामला अब कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ेगा।भारत जैसे बहुलतावादी समाज में इस प्रकार के मामलों का समाधान ऐतिहासिक तथ्यों, पुरातत्विक साक्ष्यों और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को ध्यान में रखते हुए करना आवश्यक है। सभी पक्षों को समाज के सामुदायिक सौहार्द को बनाए रखने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।
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