यह मामला मांडलगढ़ उपखंड क्षेत्र का है, जहां आसमां का अगुआ गांव अपनी अनोखी मिसाल पेश कर रहा है। 100 परिवारों वाले इस गांव में किसी के घर में बाहरी दरवाजा नहीं है। इसके बावजूद यहां चोरी या दुकान में सेंधमारी जैसी कोई घटना नहीं होती। इसके पीछे मान्यता यह है कि उनके गांव में दरवाजा नहीं होने से सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। कई बार चोरी करना आदत नहीं होती।
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सारन के ग्रामीणों का दावा है कि उनके साथियों ने उन्हें बताया था कि करीब 300 साल पहले गांव में एक संत भगवान दास आए थे, जहां उन्होंने उवाली नदी के किनारे शिव मंदिर में तपस्या की थी। इसके बाद जब संत वापस लौटे तो उन्होंने लोगों को आशीर्वाद दिया कि वे कभी भी अपने घर के मुख्य द्वार पर न जाएं। इससे गांव में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहेगी और कभी चोरी की नौबत नहीं आएगी। तब से इस आशीर्वाद के साथ लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर दरवाजे नहीं लगाते हैं।
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