India News (इंडिया न्यूज़),Dev Uthani Ekadashi: अक्टूबर और नवंबर के बीच पड़ने वाले सभी त्योहार खत्म हो चुके है। अब देवउत्थान एकादशी पर्व का सभी को इंतजार है। हिन्दू धर्म में इसका बहुत महत्व है। इसके बाद हिन्दू धर्म में शादी का सीजन शुरू हो जाएगा। ऐसे में कुछ लोगों को कन्फ्यूज है कि आखिर देवोत्थान कब है। ऐसे में जानते है की राजस्थान में कब है देवउत्थान ?

देवउत्थान एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है। इसके बाद सभी कार्य शुभ होते है। इस साल देवउत्थान एकादशी 12 नवंबर को है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का समय शाम 6:46 बजे से शुरू होगा और 12 नवंबर की सुबह 4:04 बजे रहेगा।

क्या है इसका धार्मिक महत्त्व

देवउत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विश्राम समाप्त होता है, जो देवशयनी एकादशी से शुरू हुआ था। इसके साथ ही चतुर्मास का भी समापन होता है। देवउत्थान एकादशी के दिन से सभी शुभ कार्य, जैसे कि शादी-विवाह, मुंडन संस्कार, गृह-प्रवेश आदि प्रारंभ होते हैं। इसके पहले इन कार्यों को वर्जित माना जाता है क्योंकि देवशयनी एकादशी से देवता विश्राम पर जाते हैं।

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व्रत और पूजा

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, विशेषकर उनका भोग अर्पित करना और व्रत रखना अत्यंत फलदायी माना जाता है। व्रति इस दिन विशेष ध्यान, उपवासी रहकर, श्रीविष्णु के मंत्रों का जप करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी से देवउत्थान एकादशी तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना निषेध है। माना जाता है कि इस अवधि में भगवान विष्णु की उपस्थिति न होने पर कार्यों में सफलता की संभावना कम होती है। लेकिन देवउत्थान एकादशी के दिन भगवान का जागरण होता है और इससे शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

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बाजार में रौनक

देवउत्थान एकादशी के बाद शादी-विवाह की खरीदारी और अन्य शुभ कार्यों के लिए बाजार में भी रौनक आ जाती है। यह समय होता है जब लोग त्योहारों की शुरुआत के साथ खरीदारी करते हैं और नए कार्यों में कदम रखते हैं। इस दिन को लेकर धार्मिक आयोजनों, उपवासी व्रत और विष्णु भक्ति की भी विशेष तैयारियाँ होती हैं।

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