Education Department Negligence
अभिषेक जोशी, उदयपुर:
Education Department Negligence: देश भर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (international women’s day) धूमधाम से मनाया गया। कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए तो कहीं प्रशासनिक स्तर पर महिलाओं को सम्मानित किया गया। लेकिन उदयपुर में एक 60 वर्षीय विधवा पिछले कई वर्षों से अपने हक के लिए दर – दर भटक रही है। वारियों की घाटी निवासी उमा देवी वारी एक विधवा है और हाल सज्जन गढ़ (Hal Sajjan Garh) स्थित भीलू राणा विद्यालय (Bhilu Rana Vidyalaya) में कार्यरत है। इससे पहले विधवा उमा देवी वारी ने महज 400 रुपये प्रति माह के वेतन पर कई सालों तक प्रज्ञा चक्षु संस्थान में सेवाएं देते हुए रोटियां बनाने का काम किया।
बाद में सरकार ने संस्थान का अधिग्रहण कर लिया और यहां कार्यरत सभी कर्मचारियों को सरकारी नोकरी मिल गई। लेकिन भाग्य की मारी उमा देवी वारी ही इस लाभ से वंचित रह गई। बाद में उन्होंने कोर्ट की शरण ली तो वर्ष 2002 में निर्णय इनके पक्ष में हुआ और इन्हें नौकरी मिल गई। माननीय कोर्ट के आदेशों से विधवा को राहत तो मिली लेकिन सरकारी सिस्टम इन्हें आज तक चक्कर कटा रहा है।
कोर्ट के आदेशों के बावजूद विभाग ने नहीं लिया संज्ञान
समाजसेवी गुंजन रावत ने बताया है कि पदस्थापन होने के बाद भी विभाग द्वारा सरकार द्वारा मिलने वाले नोशनल लाभ नहीं दिए जा रहे है। सरकारी लाभ के लिए उमा देवी ने एक बार फिर कोर्ट में याचिका लगाई तो कोर्ट ने इनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए शिक्षा विभाग को 1987 से नोशनल लाभ देने के भी आदेश दे दिए। वृद्धा का पदस्थापन प्रारम्भिक में है लेकिन प्रारम्भिक से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद हटा दिए जाने से इन्हें जोइनिंग माध्यमिक विभाग से मिली है।
अब प्रारम्भिक और माध्यमिक अधिकारियों में आपसी सामंजस्य की कमी होने से ये विधवा दोनों विभागों के बीच पिसकर रह गई है। आश्चर्य की बात यह है कि माननीय कोर्ट के आदेशों के बावजूद आज तक विभाग के किसी अधिकारी ने इस मामले पर संज्ञान नहीं लिया।
सिस्टम के खिलाफ कोर्ट में लगाई अर्जी
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जहां देश में महिलाओं के सम्मान की बात की जा रही है, वहीं दूसरी ओर 60 वर्षीय उमा देवी की कहानी सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा कर रही है। उमा देवी वारी अब सरकारी सिस्टम से लड़ते – लड़ते थक चुकी हैं। रोज़ाना शिक्षा विभाग के चक्कर काट – काट कर उमा देवी के चप्पल तक घिस गए है लेकिन अधिकारियों के टेबल से फ़ाइल नहीं खिसक रही। गुंजन ने बताया कि वृद्धा को सरकारी लाभ दिलाने के लिए सिस्टम के खिलाफ कोर्ट में जाना पड़ रहा है लेकिन माननीय कोर्ट के आदेश भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए कोई मायने नही रख रहे।
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