-इनेलो सीट बचाने में रही सफल
-इनेलो के गढ़ में भाजपा सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरी, दूसरे स्थान पर रही
-क्या सैलेजा के लिए बड़ा झटका व हुड्डा के लिए फायदेमंद रहे उपचुनाव के नतीजे, बड़ा सवाल
डॉ. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़।
Ellenabad Election Result 2 नवंबर, 2021 को घोषित किए ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजों पर हर किसी की नजरें टिकी हुई थीं। कुछ हद तक नतीजे उम्मीदों के अनुरूप रहे तो कुछ हद तक नहीं। इनेलो अपने गढ़ को बचाने में बेशक सफल रही, लेकिन जितनी बड़ी जीत के दावे अभय चौटाला व उनकी पार्टी कर रही थी, वो हवा-हवाई साबित हुए। सत्ताधारी भाजपा ने अभय चौटाला को कड़ी चुनौती दी और इनेलो के बाद दूसरे स्थान पर रही। जहां चुनावी विश्लेषक भी दावे कर रहे थे कि इनेलो कम से कम 15 से 20 हजार के अंतर से जीत दर्ज करेगी, लेकिन जीत का अंतर महज 6739 वोट रहा। ऐसे में इनेलो सीट बचाने में सफल रही तो वहीं भाजपा ने खुद इस सीट पर काफी हद तक मजबूत किया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए ये चुनाव न केवल दुस्वप्न साबित हुआ, बल्कि उनकी पार्टी के उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा सके।
इनेलो का विराट चुनाव जीत का दावा व ख्वाब पूरा नहीं हो पाया। जीत का अंतर 7 हजार से भी कम रहा। लेकिन इनेलो के लिए ये संतोषजनक रहा कि वो चुनाव जीतने में कामयाब रही। हालांकि राउंड दर राउंड काउंटिंग में नए समीकरण बनते दिखे। इस चुनाव के बाद भाजपा और इनेलो की अलग-अलग राय बताई जा रही है। इनेलो जहां कह रही है कि किसान पूरी तरह उनके साथ रहे और वो जीत दर्ज करने में सफल रही। लेकिन इसके विपरीत भाजपा कह रही है कि इनेलो का ये दावा झूठा साबित हुआ कि किसानों ने भाजपा को पूरी तरह से नकार दिया है।
ऐलनाबाद चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति ने हर किसी को चौंका दिया है। हालात ये रहे कि पार्टी प्रत्याशी पवन बेनीवाल अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। उनको जमानत बचाने के लिए 25254 वोट चाहिए थे। उनको करीब चार हजार वोट कम मिले। मुख्य विपक्षी पार्टी का कांग्रेस का उपचुनाव में ये हाल होना काफी कुछ बयां कर रहा है। साफ है कि पार्टी की स्थिति कतई सही नहीं कही जा सकती। अब ये सवाल निरंतर उठ रहे हैं कि पार्टी की हार के धरातल पर क्या कारण रहे। इस बात की निरंतर चर्चा थी कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा और पार्टी दिग्गज व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच चीजें ठीक नहीं हैं और हुड्डा व उनके समर्थकों ने वहां चुनाव प्रचार के नाम पर महज खानापूर्ति की है। अब ये पहलू एक बार फिर सिर उठा रहा है। पार्टी की हार की बात करें तो कांग्रेस अध्यक्षा कुछ हद तक पहले ही मान चुकी थी जैसा कि 1 नवंबर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके बयान से साफ भी हो गया था। हालांकि सैलजा सिरसा से हैं और ऐलनाबाद इसी जिले की सीट है तो ऐसे में ये सैलजा के लिए व्यक्तिगत तौर पर बड़ा झटका है। वहीं राजनीतिक जानकारी दूसरी तरफ इस हार को हुड्डा के परिपेक्ष से दूसरे एंगल से खंगाल रहे हैं और मामला राजनीतिक गलियों में जमकर छाया हुआ है।
उपचुनाव में प्रचार के दौरान भाजपा व जजपा के दिग्गज नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी थी और ऐसा फल भी पार्टी को मिला। मुख्यमंत्री मनोहर लाल, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ ने मोर्चा संभाला था और पार्टी के सांसद व विधायक भी वहां डेरा डाले थे। इसी का प्रभाव ये रहा कि पार्टी को करीब 60 हजार वोट मिले और बेशक पार्टी जीत का स्वाद नहीं चख पाई लेकिन पार्टी के लिए किसी उपलब्धि से नहीं है।
बता दें कि उपचुनाव में कुल 151524 वोट पोल हुए थे और किसी भी कैंडिडेट को जमानत बचाने के लिए न्यूनतम छठे हिस्से की जरूरत थी जो कि 25254 बनता है। इनेलो के अभय चौटाला को सबसे ज्यादा 65928 वोट मिले तो वहीं भाजपा के गोविंद कांडा 59,189 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को महज 20857 वोट मिले जो कि जमानत बचाने के लिए नाकाफी हैं। वहीं पिछले चुनावों की बात करें तो इनेलो के अभय को साल 2019 के विधानसभा चुनावों में 57,055 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर पवन बेनीवाल (उस वक्त भाजपा कैंडिडेट) 45,133 वोट के साथ दूसरे पायदान पर थे। वहीं कांग्रेस के भरत बेनीवाल को 35,383 वोट मिले थे।
होम मिनिस्टर, अनिल विज ने कहा कि ये इनेलो की जीत नहीं, बल्कि नैतिक हार है, क्योंकि पिछली जो उनकी जीत का अंतर था वो अबकी बार और भी कम हो गया है। साथ ही स्पष्ट हो गया कि वो किसानों के जरिए अभय चौटाला सियासी फायदा उठाना चाहते थे और किसानों को गलत इस्तेमाल किया जा रहा था। जहां तक कांग्रेस की बात है तो पार्टी व इसके नेताओं को अपनी औकात समझ में आ गई। कुल मिलाकर भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा।
इनेलो नेता और नवनिर्वाचित विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के बावजूद हम जीते और ये किसानों की जीत है। कांग्रेस और भाजपा दोनों शुरू से ही मिले हुए हैं। भाजपा का हारना और कांग्रेस का जमानत तक नहीं बचा पाना, सब कुछ साफ-साफ बयां कर रहा है। हमने मशीनरी के दुरुपयोग की कई शिकायत इलेक्शन कमीशन को की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। वो अब किसानों से बात करेंगे और किसानों के समर्थन में दोबारा इस्तीफा दे सकते हैं।
वहीं नेता प्रतिपक्ष, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अगर कांग्रेस विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाई तो क्या दोबारा किसानों के मुद्दे पर अभय रिजाइन करेंगे। देशभर में उपचुनावों के रुझानों पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भाजपा की सियासी जमीन खिसक रही है और लोगों का इससे मोहभंग हो चुका है। हर वर्ग सरकार की नीतियों से परेशान हैं। रोज 35-35 पैसे करके पेट्रोल-डीजल के दामों में भारी बढ़ोतरी की जा रही है। सरकार तेल पर टैक्स लगाकर आम जनता से लाखों करोड़ रुपए वसूल चुकी है। हालात ये हैं कि गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग का जीना दूभर हो गया है।
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