India News (इंडिया न्यूज), Fake Patta Case: किसी ने सही कहा है कि भले ही आप कितने भी आपसी गठजोड़ से अवैध काम कर पैसा कमा लो, लेकिन जब न्याय करने का समय आता है तब कानून कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखता, जिसका जीता जागता सबूत है जावाल पट्टा प्रकरण।
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एक्शन मोड़ पर पुलिस
जावाल में किए गए फर्जी पट्टे के मामले में अब पुलिस एक्शन मोड़ पर आ चुकी है। पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार के सुपरविजन में डिप्टी मुकेश चौधरी और उनकी टीम में फर्जी पट्टे बनाने वाली टीम का लगातार धरपकड़ कर रही है। जहां इस मामले में पहले ही एक नगर पालिका संविदाकर्मी व कर्मचारी को अरेस्ट करने की कार्रवाही की गई थी। वहीं, शुक्रवार को ई-मित्र संचालक को भी गिरफ्तार कर हवालात के पीछे डाल दिया गया, जिसे शनिवार को कोर्ट में पेश किया गया।
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मामला दर्ज
जावाल के एक ई-मित्र और दो नगर पालिका में लगे सविदा कार्मिकों ने नगर पालिका में बिना किसी आवेदन किए बिना किसी राशि पालिका में जमा किए लाखों रुपये लेकर आवासीय भूखंडों के पट्टे बनाकर दे दिए। इसका भंडाफोड़ होने पर नगर पालिका के तत्कालीन ईओ महेंद्र राजपुरोहित ने पुलिस में फर्जी पट्टे होने का मामला दर्ज करवाया था, जिस पर उप अधीक्षक चौधरी को जांच सौंपने पर फर्जी पट्टों को कब्जे में लिया और जिनके नाम से बने उनसे पूछताछ की गई और साइन का FSL करवाया गया।
तीसरा आरोपी भी अरेस्ट
लंबे समय बाद एसपी के व्यक्तिगत प्रयास से FSL रिपोर्ट में साइन झूठे पाए जाने पर पुलिस ने पहले एक आरोपी को गिरफ्तार किया और बाद में कल रात एक आरोपी सुथार को पकड़ा। वहीं, बीते शुक्रवार को तीसरे आरोपी में घवाल को पुलिस ने धर दबोचा है। इन तीनों ने मिलकर कितने फर्जी पट्टे बनाये हैं और इसमें और कितने सूत्रधार है इसका पता पुलिस अब लगा रही है। जैसे-जैसे नाम सामने आएंगे वैसे-वैसे सभी हवालात के पीछे नजर आने वाले है।
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जानें, क्या बोले डिप्टी
इस मामले में डिप्टी ने कहा कि जावाल पालिका से कुछ लोगों के पट्टे जारी किए गए थे। जब एनओसी के लिए वो नगर पालिका गए तो सच सामने आया कि यह पट्टे नगर पालिका से नहीं बने है, न ईओ के साइन है, न अध्यक्ष के यहां तक सील भी फर्जी थी। तब तत्कालीन ईओ बरलूट थाने में रिपोर्ट दी गई। तब पुलिस ने करीब 22 पट्टे कब्जे में लेकर उन्हें एफएसल में भेजने पर पता चला कि पट्टों पर जो ईओ और पालिका अध्यक्ष के हस्ताक्षर है वो उनके नहीं है। उसके हिसाब से सहवाग मेघवाल को 15 नवंबर को अरेस्ट किया गया। वहीं ई-मित्र संचालक किशोर सुथार को शुक्रवार को अरेस्ट किया गया।