India News(इंडिया न्यूज), Rajasthan By Election: राजस्थान की राजनीति का जब भी जिक्र होता है, तो प्रदेश के नागौर लोक सभा से सांसद हनुमान बेनीवाल की चर्चा जरूर की जाती है. क्षेत्र में अभी उपचुनाव थे और ऐसे में बेनीवाल की चर्चा ना हो भला ऐसे कैसे हो सकता है.

नागौर सांसद बेनीवाल की धर्मपत्नी..

दरअसल आज कुछ कारणों से राजस्थान विधान सभा की खाली हुई सीटों पर हुए उपचुनाव की मतगणना थी.चुनाव में प्रदेश की सबसे हॉट सीट खींवसर बताई जा रही थी, जो वर्तमान सांसद हनुमान बेनीवाल के लोक सभा जाने के बाद खाली हुई थी.पार्टी ने यहां से कनिका बेनीवाल को उतारा था. जो की नागौर सांसद बेनीवाल की धर्मपत्नी भी है. विधान सभा में इनका सीधा मुकाबला अपनी ही पार्टी के बागी नेता रेवंतराम डांगी से था , जो मौजूदा समय में बीजेपी की टिकट पर लड़ रहा था .

सीट हनुमान बेनीवाल का गढ़ बनी..

भाजपा से लड़ रहे बागी उम्मीदवार ने आरएलपी को इस सीट पर 13 हज़ार से भी ज्यादा वोटों से मात देते हुए ,इस सीट पर इतिहास रच दिया. क्यों की पिछले लगभग सोलह साल से ये सीट हनुमान बेनीवाल का गढ़ बनी हुई थी. हालांकि कनिका बेनीवाल को पूर्व विधायक से ज़्यादा वोट मिले थे .लेकिन उसके बावजूद भी उनके हाथ सफलता नहीं लग सकी. इस सीट में बेनीवाल परिवार की हार को लेकर कुछ राजनीतिक पंडितों की तरफ से कहा जा रहा है कि बेनीवाल को हराने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने इस सीट पर सांठ गांठ की हुई थी.

राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले..

जिसके वजह से ही कांग्रेस उम्मीदवार महज़ 5 हज़ार वोटों पर ही सिमट कर रह गए और वोटों को ध्रुवीकरण भाजपा की तरफ हो गया, वहीं कुछ का कहना है कनिका को टिकट देने के बाद पार्टी की भीतर ही नाराजगी चल रही थी, जो चुनाव के नतीजों के रूप में दिखाई दी . वैसे प्रदेश की सात विधान सभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी ने 5 सीटों पर सफलता हासिल की बाकी शेष 2 सीटों में से एक अन्य को तो एक कांग्रेस की झोली में गई. आपको बता दें कि छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत करने वाले हनुमान बेनीवाल सन 2008 में अपना पहला विधान सभा चुनाव इस सीट से लड़ा और जीता था.

कौन है हनुमान बेनीवाल

राजस्थान की क्षेत्रीय पार्टी आरएलपी के मुखिया हनुमान बेनीवाल का राजनीतिक सफर छात्र राजनीति से शुरू हुआ. 1998 में लॉ करने वाले बेनीवाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत खींवसर विधान सभा से अपना पहला चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर खड़े होकर की थी. चुनाव में बेनीवाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी को धूल चटाई थी. सन 2013 में चुनाव से पहले बेनीवाल भाजपा में शामिल हो गए और प्रदेश का चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़ा. हालांकि मतभेद होने के चलते पार्टी छोड़ दी . पिछले लोक सभा चुनाव में इन्होंने ऊंची उड़ान भरने के लिए एक क्षेत्रीय पार्टी आरएलपी की शुरुआत की . और पहली बार में ही लोक सभा पहुंचने में सफल रहें. राजस्थान में होने वाली बेनीवाल की रैलियां देश भर में सुर्खियां भी बटोरती है. वहीं अभी कुछ दिनों पहले नए संसद भवन कुछ अराजक तत्वों के घुसने पर इनके द्वारा की गई पिटाई का वीडियो भी जमकर वायरल हुआ था. साथ ही इनकी निर्भिकता की भी सोशल मीडिया पर खूब तारीफ की जा रही थी.इन्होंने अपना आखिरी चुनाव नागौर लोक सभा से लड़ा था , जिसने इन्हें एक बार फ़िर से लोकसभा के अंदर एंट्री दिलवाई थी. साथ ही जिसके चलते खींवसर विधान सभा की सीट भी रिक्त हुई थी. जहां पर इन्होंने अपनी पत्नी को पार्टी के उम्मीदवार के रूप में उतारा था.

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