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जानिए राजस्थान में सोना तस्कर एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारी को कैसे देते हैं धोखा

Sameer Saini • LAST UPDATED : July 25, 2022, 1:46 pm IST

इंडिया न्यूज, Jaipur Airport Gold Smuggling: राजस्थान में सोना तस्करी का ये कोई नहीं नया मामला नहीं है। आए दिन इस तरह की तस्करी से कस्टम विभाग भी हैरान है। लोग तस्करी के लिए नए-नए नियम अपनाते हैं। बता दें जितना सोना एयरपोर्ट पर कार्रवाई के दौरान पकड़ा जाता है, इससे अधिक सोना तस्कर आसानी से ठिकाने लगा देते हैं।

बताया जाता है कि खाड़ी देशों में बैठे तस्कर इतने शातिर हैं कि अधिकारियों की नाक के नीचे से माल उड़ा देते हैं, और कुछ रुपयों के लिए विदेशी गर्ल्स तस्करी को टूल बन रहे हैं। जो आइए जानते हैं राजस्थान में क्यों बढ़ रही सोने की तस्करी और तस्कर एयरपोर्ट पर कैसे बच निकलते हैं कस्टम आफिसर की नजरों से, सोना स्मगलिंग में कस्टम को क्या है कानून।

गोल्ड स्मगलिंग के नए मॉड्यूल में खतरा नहीं?

जयपुर एयरपोर्ट पर 4 जुलाई 2020 को सबसे बड़ी कार्रवाई हुई। यह पहला मामला था जब तस्करों के नए मॉड्यूल का खुलासा हुआ। दो चार्टर प्लेन में आए 14 लोगों से 32 किलो सोना पकड़ा गया। कीमत 15 करोड़ 67 लाख रुपए आंकी गई। बार बार पकड़े जाने के डर से स्मगलर्स ने पूरा माल टुकड़ों में बेचने का तरीका निकाला। इसकी सबसे बड़ी वजह ये थी कि 20 लाख रुपए की वैल्यू तक सोना स्मगलिंग पर कोई सजा या गिरफ्तारी का कोई नियम नहीं है। इसमें पकड़े जाने पर नुकसान का खतरा भी कम रहता है।

10 जुलाई 2022 से अब तक इतना पकड़ा गया सोना?

जयपुर एयरपोर्ट पर 10 जुलाई 2022 बैंकॉक की तीन युवतियों को सोने की तस्करी करते हुए गिरफ्तार किया गया। इन युवतियों के पास से 1.8 किलोग्राम सोना जब्त किया गया। पकड़ा गया सोना 90.43 लाख रुपए का है। बताया जाता है कि ये तीनों युवतियां जयपुर के ज्वेलर के संपर्क में थीं।

16 जुलाई को शारजाह से एयर अरेबिया की फ्लाइट से पहुंचे यात्री के बैग से 2170 ग्राम सोने की तार बरामद हुई थी। 17 जुलाई को एक यात्री से 143 ग्राम वजन की सोने की स्टिक मिली जो क्रीम ट्यूब में छिपाकर लाई गई थी। 20 जुलाई को दुबई में मजदूरी करने गए एक युवक से कस्टम अधिकारियों ने 151 ग्राम सोना बरामद किया था।

प्रोबेबिलिटी का नया गणित क्या है?

कस्टम की हर कार्रवाई में सोना स्मगलिंग का नया पैटर्न सामने आता है। तस्करों प्रोबेबिलिटी यानी संभावनाओं का नया गणित अपना लिया है। इससे तस्कर 90 फीसदी तक सोना आसानी से ठिकाने लगा देते हैं। उदाहरण के तौर पर समझिए-जैसे कि किसी तस्कर को 100 किलो सोना जयपुर पहुंचाना। इस काम को एक की बजाय 20 करियर के जरिए पूरा करेगा। अगर कोई तस्कर 10 फीसदी के हिसाब से पकड़ा भी गया तो बड़ा नुकसान नहीं होता है। बाकी सोना तस्कर शातिर तरीके से नजर बचाकर ठिकाने लगा देते हैं।

एयरपोर्ट पर एजेंसियों की नजर से ऐसे बचते हैं तस्कर?

एजेंसियां खाड़ी देशों जैसे यूएई, दुबई जैसे देशों से आने वाली डायरेक्ट फ्लाइट से उतरने वाले यात्री पर कड़ी नजर रखती हैं। तस्करों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। स्मगलर कैरियर्स को कनेक्टिंग डोमेस्टिक फ्लाइट से जयपुर लैंड करवाकर एयरपोर्ट से एग्जिट करवाते हैं। ऐसे में जब ये जयपुर पहुंचते हैं तो इनपर कस्टम अधिकारियों की नजर कम पड़ती है।

अब उदाहरण लीजिए- जैसे दुबई से आया एक यात्री पहले मुंबई एयरपोर्ट पहुंचता है। फिर वहीं से जयपुर की फ्लाइट पकड़ता है। ऐसे में उसे मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम क्लियरेंस नहीं लेना पड़ता है। वहीं जयपुर में वो एक तरह से डोमेस्टिक यात्री बनकर लैंड करता है तो उस पर ऑफिसर्स की नजर उतनी सख्त नहीं होती। ऐसे में तस्कर आसानी से गोल्ड लेकर बाहर निकल जाता है। हालांकि कई मामलों में अधिकारी संदिग्ध यात्रियों को ट्रैक करते रहते हैं।

इन लोगों तक नहीं पहुंच पाती एजेंसियां

राजस्थान के शेखावाटी इलाके के सीकर, चूरू, झुंझनू और नागौर जिले के हजारों युवा खाड़ी देशों में मजदूरी करने के लिए जाते हैं। सभी गरीब परिवारों से होते हैं। ऐसे में गोल्ड स्मगलर इन युवाओं को रुपयों या फ्री टिकट का लालच देकर स्मगलिंग कैरियर बना लेते हैं। खाड़ी देशों में बैठे स्मगलर हवाला से रुपए मंगवाते हैं और कैरियर के जरिए गोल्ड भारत में भेज देते हैं। खुद कभी पकड़ में नहीं आते। स्मगलिंग में मुनाफा इतना होता है कि एक-दो बार गोल्ड पकड़ा भी जाए तो कोई बड़ा नुकसान नहीं होता।

जितना बड़ा रिस्क, उतनी बड़ी कमाई

देश में सोने की कीमत कम होने के बजाय बढ़ती जा रही। 10 ग्राम सोने की कीमत 50 हजार के पार है। इम्पोर्टेड गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी 5 फीसदी बढ़कर 15 फीसदी प्रतिशत हो गई है। इस पर जीएसटी भी लगता है। ऐसे में सोना खरीदना महंगा सौदा हो चुका है। स्मगलिंग के जरिए एक गोल्ड के दाम में 5 से 6 लाख रुपए का अंतर आता है। बड़े मुनाफे के लिए स्मगलर हर तरह का कदम उठाने को तैयार रहते हैं।

सरकारी कोष में जमा होता है जब्त किया सोना

आपको बता दें कि 20 लाख रुपए की वैल्यू तक सोना स्मगलिंग के मामलों में कस्टम ड्यूटी नॉन पेड़ गोल्ड को जब्त कर लिया जाता है। जब्त किया गया सोना सरकारी कोष में जमा कर लिया जाता है। कुछ मामलों में प्रोसेस अपनाकर अगर कस्टम ड्यूटी चुका दी जाए तो उच्च अधिकारियों के डिसीजन से पकड़ा गया सोना भी छूट जाता है। इसके चलते 20 लाख रुपए तक की सोना तस्करी में ज्यादा रिस्क नहीं होता है। वहीं इससे ज्यादा वैल्यू का सोना होने पर आरोपी को गिरफ्तार कर सोना भी जब्त कर लिया जाता है। इसके बाद गिरफ्तार आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाता है, जहां उसे थोड़े टाइम बाद जमानत मिल जाती है और वो जेल से छूट जाता है।

स्मगलर हर बार नए तरीके से करते हैं स्मगलिंग: भारत भूषण

सांगानेर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के असिस्टेंट कस्टम कमिश्नर भारत भूषण अटल ने बताया कि गोल्ड स्मगलिंग पर जांच एजेंसियां पूरी नजर रखती है। लगातार कार्रवाई की जा रही हैं। बावजूद इसके अभी इसे 100 फीसदी प्रूफ नहीं कर पाए हैं। स्मगलर हर बार नए तरीके से स्मगलिंग करते हैं। हमारी हर कार्रवाई में टाइप ऑफ स्मगलिंग चेंज आई है। ऐसे में कस्टम टीम भी इन तरीकों समझने का लगातार प्रयास करती रहती है।

क्या कहता है कस्टम का कानून?

भारत में कस्टम एक्ट 1962 के तहत 20 लाख रुपए की वैल्यू तक सोना स्मगलिंग में कोई सजा नहीं है। इसे ज्यादा वैल्यू कि इस मामले पर अधिकतम 7 साल की सजा है और पेनल्टी का प्रावधान है। भारत में गोल्ड स्मगलिंग के कुछ मामलों में एनआईए ने यूएपीए के तहत भी मामले दर्ज किए हैं लेकिन हाल ही में 4 जून को दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले में कहा गया कि अगर देश की अर्थव्यवस्था पर किसी प्रकार का खतरा नहीं है, तो सोने की तस्करी गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यूएपीए के तहत नहीं माना जाएगा।

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