India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Jodhpur News: राजस्थान हाईकोर्ट ने मादक पदार्थों से जुड़े एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई की है। इस मामले की सुनवाई करते हुए एक SHO और हेड कांस्टेबल को निलंबित कर दिया है। साथ ही पुलिस महानिदेशक जयपुर को पूरे मामले में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। यह पूरा मामला मादक पदार्थों से जुड़ा हुआ है। इस मामले में पुसिल पर 35 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा है। वहीं अब अदालत ने मामला CBI को सौंप दिया है।
जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने सबसे पहले एनडीपीएस मामले में सत्यनारायण की जमानत याचिका पेश की। जमानत याचिका में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए थे और पूरे मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया था। हाईकोर्ट ने पहले इस मामले में पुलिस कमिश्नर जोधपुर द्वारा किराए पर लिए गए गोदाम से सीआईसी पूंजीपति सिंह और प्रधान परिषद के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। साथ ही एसीबी की ओर से दी गई शिकायत की जांच रिपोर्ट भी नहीं मिल पाई थी।
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कोर्ट ने कहा-‘जांच स्वतंत्र और विश्वसनीय एजेंसी से करवाना जरूरी’ कोर्ट ने कहा कि अगर जबरन वसूली के आरोपों को नजरअंदाज किया गया तो आम जनता का विश्वास खत्म हो जाएगा और समाज में गुस्सा बढ़ेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि एसीबी अधिकारियों और पुलिस इंस्पेक्टर व अन्य पुलिस कर्मियों के बीच मिलीभगत के आरोपों की जांच स्वतंत्र और विश्वसनीय एजेंसी से करवाना जरूरी है।
दरअसल, 29 जनवरी 2024 को पुलिस ने एनडीपीएस के तहत कार्रवाई करते हुए एक ट्रक को रोका था, जिसमें 111 बोरी पोस्त भूसी बरामद होने का दावा किया गया था। इस मामले में आरोपी सत्यनारायण के बेटे मुकेश सुथार ने आरोप लगाया था कि पुलिस अधिकारियों ने उसे झूठे केस में फंसाने की धमकी दी और 35 लाख रुपए की रिश्वत मांगी। हाईकोर्ट ने माना कि पूरे मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है और सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि पुलिस अधिकारी गाड़ी किसी दूसरी जगह से लेकर आए और फिर थाने के बाहर वसूली की औपचारिकताएं पूरी कीं।
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