India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Jyoti Mirdha: राजस्थान के नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट पर जल्द ही उपचुनाव होने जा रहे हैं। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल के विधायक से सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है। इस सीट को हनुमान बेनीवाल का गढ़ भी कहा जाता है। 2008 से इस सीट पर आरएलपी के प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं। लेकिन इस बार ‘बेनीवाल के गढ़’ को ध्वस्त करने के लिए भाजपा ने मतदाताओं की नब्ज टटोलनी शुरू कर दी है। इसी रणनीति के चलते मिर्धा परिवार आक्रामक मोड पर आ गया है, जिससे खींवसर में सियासी पारा चढ़ गया है।
हमारे लिए कोई चुनौती नहीं: मिर्धा
भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा ने मीडिया से बातचीत में हनुमान बेनीवाल का नाम लिए बगैर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, ‘खींवसर उपचुनाव में इस बार हमारे लिए कोई चुनौती नहीं है। जिस तरह से नेताओं ने हमें गुमराह करना शुरू किया है, उससे लगता है कि वे पूरी तरह डर गए हैं। इसलिए वे बेबुनियाद बयान दे रहे हैं। वे तेजा दर्शन के नाम पर यहां आए थे। लेकिन मंच पर जाकर उन्होंने धार्मिक समागम को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। इस कारण वहां उनका विरोध हुआ और उन्हें वहां से भागना पड़ा।
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बेनीवाल को दी गई अमर बकरे की उपाधि
इससे एक दिन पहले ज्योति मिर्धा के चाचा रिछपाल मिर्धा (रिछपाल सिंह मिर्धा) ने हनुमान बेनीवाल को ‘अमर बकरे’ की उपाधि दी थी। उन्होंने कहा, ‘अगर हनुमान बेनीवाल इस बार चुनाव नहीं हारे तो मैं उन्हें अमर बकरे की उपाधि दूंगा। क्योंकि तब वे अमर हो जाएंगे। अब यह जनता के हाथ में है कि उन्हें अमर रखना है या क्या करना है। अमर बकरा वह है जो गांव में घूमता है, काफी लंबा और मजबूत है और उसके कानों में सोने की बालियां भी हैं। अब देखना यह है कि जनता बाजार से उन बालियों को लाकर उसके कानों में डालती है या नहीं। अब सब कुछ जनता के हाथ में है। मैं कैसे बता सकता हूं कि उसे अमर रखना है या नहीं? जनता उसे दफनाएगी, मंदिर में छोड़ेगी या बजरी में, यह जनता का फैसला होगा।
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