राजस्थान

Kirodi Lal Meena : किरोड़ी लाल मीणा बोले, बोले- ‘मंत्री था तो शिखंडी बन गया, मेरे पास कोई…’

India News RJ (इंडिया न्यूज़),Kirodi Lal Meena: मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद संकेतों में बयान देकर बार -बार अपनी मज़बूरी जाहिर कर रहे हैं। शनिवार को किरोड़ी लाल मीना ने कहा, “अब मैं मंत्री भी नहीं रहा, मैंने इस्तीफा दे दिया है, मैंने कई बार मुख्यमंत्री से कहा कि मेरा इस्तीफा स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि क्यों? तो मैंने कहा कि मैंने 45 साल तक सवाई माधोपुर, टोंक, दौसा, अलवर, करौली, भरतपुर और धौलपुर क्षेत्र की जनता की हर दुख-दर्द में सेवा की है। मैंने मोदी जी को फोन किया था, मोदी जी ने कहा था कि मैं मीटिंग करूंगा।

मैंने कहा था कि आप दौसा में घर-घर जाइए, मैं पूर्वी राजस्थान की सातों सीटें जीतूंगा। लेकिन, मैं वह सीट हार गया जहां से मैं विधायक हूं। मैं दौसा जिले की सीट हार गया, इसलिए मैंने घोषणा की थी कि अगर चुनाव में सीट हारी तो मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा, इस वजह से मैंने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।”

चाणक्य ने बताई वो बात जिसे हमेशा रखना चाहिए पत्नी से दूर, नहीं तो निश्चित है कलेश…?

‘मैं नैतिकता की राजनीति करता हूं’

उन्होंने कहा, “मैं सच्चे मन से लोगों की सेवा कर रहा हूं। मैं नैतिकता की राजनीति करता हूं, इसलिए मैंने त्याग पत्र दे दिया। महाराज ने सिर्फ इतना कहा कि अगर आप मंत्री नहीं रहेंगे तो आपके पास ज्यादा ताकत होगी।” लेकिन, मंत्री बनने के बाद मैं शिखंडी बन गया, मेरे पास जो भी शक्ति थी, वह भी खत्म हो गई। अपने वचन को निभाने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले जिद्दी हमीर ने दुश्मन के सामने अपना सिर नहीं झुकाया।”

‘मैं किसी के सामने सिर नहीं झुकाने वाला’

किरोड़ी लाल मीना ने कहा, ”मैंने भी वही वचन दिया है, जो मैंने विधानसभा चुनाव में दिया था। मैं किसी के सामने सिर नहीं झुकाने वाला, अगर मेरा सिर झुकेगा तो जनता के सामने झुकेगा। मुझे पद का मोह क्यों नहीं है, हर चीज का एक समय होता है। भगवान राम के राजगद्दी पर बैठने की सारी तैयारियां हो चुकी थीं। लेकिन, उन्हें अपने पिता के आदेश पर वनवास जाना पड़ा। जब भगवान राम को ही राजगद्दी छोड़नी पड़ी तो डॉ. किरोड़ी लाल तो छोटे व्यक्ति हैं। राजगद्दी का कोई महत्व नहीं है।”

‘मैं जनता के लिए लड़ता रहूँगा, काम भी करता रहूंगा’

उन्होंने कहा, “मैं लोगों के लिए लड़ता रहूंगा और काम भी करता रहूंगा। मैं अकेला ही हजारों लोगों के बराबर हूं। जीत और हार तो होती रहती है। असफलता में ही सफलता छिपी होती है। असफलता भी कई बार ऐसे परिणाम देती है, इस दौरान उन्होंने विनेश फोगट का उदाहरण देते हुए कहा कि वह 100 ग्राम वजन के कारण स्वर्ण पदक नहीं जीत पाई। लेकिन, उन्होंने विश्व पटल पर देश के लिए इतिहास रच दिया, ऐसा इंसान बनने की जरूरत है।”

‘सभी मछलियों और मगरमच्छों को जेल में डालो’

उन्होंने कहा, “डॉ. किरोड़ी ने कहा कि मैंने 26 लाख शिक्षकों और 30 हजार थानेदारों की परीक्षाएं रद्द करवा दीं। तब मैं सरकार में नहीं था। लेकिन, अब मुझे बहुत पसीना बहाना पड़ रहा है। इन सभी मछलियों और मगरमच्छों को जेल में डालो, जिन्होंने किसानों और जवानों के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर दिया है।”

Devi Chitralekha हमेशा गले में क्यों पहनती है ये खास माला,खुद बताई वजह

Ashish kumar Rai

Recent Posts

अगर श्री कृष्ण चाहते तो चुटकियों में रोक सकते थे महाभारत का युद्ध, क्यों नही उठाए अपने अस्त्र? इस वजह से बने थे पार्थ के सारथी!

Mahabharata war: महाभारत का युद्ध एक धर्मयुद्ध था, जिसमें श्री कृष्ण ने अहम भूमिका निभाई…

29 minutes ago

नेपाल के अलावा इन देशों के नागरिक भारतीय सेना में दिखाते हैं दमखम, जानें किन देशों की सेना में एंट्री नहीं

Indian Army: भारतीय सेना अपने साहस के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। साथ ही…

54 minutes ago