India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Madan Dilawar: दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा पर गए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बिना कोर्ट की अनुमति के विदेश जाने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। भरतपुर में वर्ष 2011 में हुए गोपालगढ़ दंगे में दी गई सशर्त अग्रिम जमानत को रद्द करने के लिए सांवरमल चौधरी की अर्जी पर एडीजे कोर्ट-4 में अर्जी दाखिल की गई है। मामले में अगली सुनवाई 24 सितंबर को होनी है।
कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि गोपालगढ़ दंगे की सुनवाई के बीच कोर्ट की अनुमति के बिना विदेश यात्रा कर सीएम ने अग्रिम जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है। इसके जवाब में राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा है कि कांग्रेस इसलिए नाराज है, क्योंकि मुख्यमंत्री ने अमेरिका में राहुल गांधी के देश विरोधी बयानों पर सवाल उठाए हैं।
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शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि गोपालगढ़ की धरती पर वर्ष 2011 में षडयंत्र रचा गया था। कांग्रेस शुरू से ही तुष्टीकरण की जनक रही है। उस समय भी तुष्टीकरण किया और आज भी कर रही है। उस समय गोपालगढ़ में कानून व्यवस्था की स्थिति सभी ने देखी। भजनलाल शर्मा प्रशासन के आग्रह पर वहां गए थे। तत्कालीन प्रशासन की नोटिंग खुद इसकी गवाह है। गोपालगढ़ में चारों तरफ से घेरकर गुज्जर और सैनी समाज के लोगों पर हमला किया गया।
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13 सितंबर 2011 को मेवात के जुरहरा थाने में एक आरोपी ने गर्दन काट ली थी। उस दौरान जुरहरा थाने पर हमला किया गया था और वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया था। इसी दिन गोपालगढ़ में गुज्जर और मेव समाज के दो युवकों के बीच झगड़ा हुआ था। दोनों पक्षों को थाने में बुलाकर समझौता कराने का प्रयास किया गया था। इसमें एक पक्ष से भजनलाल शर्मा, शहर की पूर्व विधायक अनीता सिंह गुर्जर, जवाहर सिंह बेढम और दूसरे पक्ष से कामां की पूर्व विधायक जाहिदा खान समेत 20-22 लोग वार्ता में शामिल हुए थे। वार्ता में तय हुआ कि समझौता हो गया है। यहां से निकलने के बाद किसी ने अफवाह फैला दी। पथराव और फायरिंग शुरू हो गई। लगातार फायरिंग के कारण प्रशासन वहीं मौजूद रहा। माली समाज के एक युवक की आंख में गोली लगी तो भाजपा नेता भजनलाल शर्मा और जवाहर सिंह बेढम ने प्रशासन के सामने विरोध जताया। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दंगाइयों पर फायरिंग के आदेश दिए गए। घंटों चली फायरिंग में 10 लोगों की मौत हो गई। उसके बाद भजनलाल शर्मा भी दंगाइयों का निशाना बन गए। ऐसे में उन्हें और अन्य भाजपाइयों को पुलिस सुरक्षा में भरतपुर छोड़ा गया।
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