India News RJ(इंडिया न्यूज),Rajasthan News: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने दिवाली से पहले राज्य के सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है. राज्य के कर्मचारियों के लिए सरकार की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया है। जिसमें प्रमोशन को लेकर बातें साफ की गई हैं। दरअसल सरकार ने कहा है कि सजा के प्रमोशन पर पड़ने वाले प्रभावों की दोबारा जांच की गई है। इस पर सरकार ने साफ किया है कि राज्य के कर्मचारियों को निंदा की सजा दिए जाने से कर्मचारियों की पदोन्नति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इसका मतलब यह है कि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य का कोई भी कर्मचारी निंदा की सजा के कारण पदोन्नति से वंचित नहीं रहेगा। इस संशोधन के आधार पर पहले से लंबित डीपीसी के मामले फिर से नहीं खोले जाएंगे।
कार्मिक विभाग की ओर से जारी परिपत्र के अनुसार राजस्थान सिविल सेवा नियम 1958 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही में दोषी पाए गए राज्य सरकार के कर्मचारियों या अधिकारियों पर लगाए गए छोटे या बड़े दंड से संबंधित कर्मचारी की पदोन्नति प्रभावित होती है। लेकिन अब दिए गए दंडों का पदोन्नति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बारे में निर्देश जारी किए गए हैं। इसके अनुसार निन्दा के दंड के लिए एक बार पदोन्नति से वंचित करने का प्रावधान है। अब दंडों का पदोन्नति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी दोबारा जांच की गई है।
परिपत्र में कहा गया है कि इस संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि राजस्थान सिविल सेवा नियम 1988 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही में निन्दा के दण्ड के कारण किसी भी राज्य कर्मचारी को पदोन्नति से वंचित नहीं किया जाएगा। यह संशोधन जारी होने की तिथि यानि 22 अक्टूबर से प्रभावी होगा। इस आधार पर पहले से आयोजित डीपीसी प्रकरणों को पुनः नहीं खोला जाएगा। यदि किसी विभाग में किसी पद के लिए वर्ष 2024-25 की डीपीसी अभी तक नहीं हुई है तो वे डीपीसी इस परिपत्र के नए प्रावधानों के अनुसार की जाएंगी।
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