India News (इंडिया न्यूज), Rajasthan News: राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन माउंट आबू पिछले कई दशकों से उपेक्षा का शिकार रहा है। ना तो केंद्र सरकार ने इसे कोई विशेष पैकेज दिया और ना ही राज्य सरकार ने इसे पर्यटन विकास की प्राथमिकता में रखा। बता दें, माउंट आबू के पर्यटन और व्यवसाय से जुड़े लोग इस बार बजट में विशेष पैकेज की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिल सके।
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केंद्र और राज्य सरकार से उपेक्षा
जानकारी के अनुसार, माउंट आबू के स्थानीय लोगों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि पिछले चार दशकों से केंद्र सरकार ने इसे कोई वित्तीय सहायता नहीं दी। वहीं, राजस्थान सरकार ने दूसरे पर्यटन स्थलों को बढ़ावा दिया, लेकिन माउंट आबू को प्रचारित नहीं किया। बताया गया है कि, यहां तक कि जब मुख्यमंत्री विदेश यात्राओं पर जाते हैं, तो राजस्थान के पर्यटन स्थलों में माउंट आबू का जिक्र तक नहीं किया जाता। माउंट आबू को “वंडर ऑफ द वर्ल्ड” में शामिल करने की मांग भी की गई है। मिली जानकारी के मुताबिक, माउंट आबू के पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों और स्थानीय व्यवसायियों की मांग है कि यहां के प्रसिद्ध दिलवाड़ा जैन मंदिर को “वंडर ऑफ द वर्ल्ड” में शामिल किया जाए। इसके अलावा, माउंट आबू को आधिकारिक रूप से हिल स्टेशन का दर्जा देने की भी मांग उठाई जा रही है।
संस्कृति और धार्मिक महत्व
ऐसे में, माउंट आबू सिर्फ एक हिल स्टेशन ही नहीं, बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण स्थान है। यह वशिष्ठ ऋषि की तपोस्थली रहा है और भगवान राम सहित उनके भाइयों की शिक्षा का केंद्र भी रहा है। ऐसे में, यहां स्थित दत्तात्रेय मंदिर, नक्की झील, मां अर्बुदा शक्तिपीठ और अर्ध काशी-अर्ध द्वारिका जैसी जगहें धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं। दूसरी तरफ, माउंट आबू के लोगों को इस बार बजट से विशेष पैकेज की उम्मीद है। स्थानीय व्यवसायियों का मानना है कि यदि *पर्यटन को सही तरीके से बढ़ावा दिया जाए, तो यह न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन सकता है।
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