India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Rajasthan News: जोधपुर में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के पोस्टर को लेकर उठे विवाद के बाद राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने इस मामले में कर्मचारी नेता शंभू सिंह मेड़तिया को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने शुक्रवार शाम को एक आदेश भी जारी किया, जिसमें सरकारी कर्मचारियों द्वारा सोशल मीडिया के उपयोग के संबंध में पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों की कड़ाई से पालना सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं।

सरकार ने शंभू सिंह मेड़तिया को किया निलंबित

राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के खिलाफ सार्वजनिक रूप से पोस्टर लगाकर चर्चा में आए शिक्षक नेता शंभू सिंह मेड़तिया को सरकार ने निलंबित कर दिया है। शंभू सिंह ने शिक्षा मंत्री के खिलाफ जिले में पोस्टर लगाए थे, जिन पर ‘पलटू राम’ लिखा हुआ था। अब राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने इस मामले में एक परिपत्र जारी किया है। इसमें कर्मचारियों के सोशल मीडिया अकाउंट पर सरकार के खिलाफ आरोप/टिप्पणियां प्रचारित/प्रसारित करने वालों को नियंत्रित एवं विनियमित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

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ये है पूरा मामला

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने हाल ही में शिक्षा विभाग में कई मौखिक आदेश जारी किए, लेकिन आखिरकार उन पर अमल नहीं हो सका। इसको लेकर शिक्षक नेता शंभू सिंह मेड़तिया द्वारा जोधपुर शहर में शिक्षा मंत्री के खिलाफ पोस्टर लगाए गए थे। इसके बाद शिक्षा विभाग ने मेड़तिया को निलंबित कर दिया था।

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जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय कार्यालय से जारी आदेश में लिखा है कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय बागा, सूरसागर, जोधपुर में कार्यरत शिक्षक लेवल 1 शंभू सिंह मेड़तिया ने शिक्षा मंत्री के जोधपुर दौरे के दौरान बार-बार राज्य सरकार व शिक्षा विभाग के खिलाफ अभद्र नारे लगाए, शिक्षा मंत्री का पुतला फूंका, विभिन्न समाचार पत्रों में शिक्षा मंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया तथा जोधपुर शहर में विभिन्न स्थानों पर शिक्षा मंत्री के खिलाफ होर्डिंग्स लगाए और इसके अलावा शिक्षा मंत्री के लिए पलटू राम जैसे अभद्र शब्दों का प्रयोग करने तथा आमजन में विभाग की छवि खराब करने के कारण उन्हें राजस्थान सिविल सेवा नियम 1958 के नियम 13(2) के तहत तुरंत प्रभाव से निलंबित किया जाता है।

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दरअसल शिक्षक कर्मचारी नेता शंभू सिंह मेड़तिया ने जोधपुर शहर में विभिन्न स्थानों पर होर्डिंग्स लगाकर शिक्षा मंत्री पलटू राम से मुलाकात का आह्वान किया था। पोस्टरों में लिखा था कि पिछले 7 माह में शिक्षा मंत्री द्वारा 7 आदेश जारी किए गए तथा बाद में उन्हें पलट दिया गया। मेड़तिया ने बताया कि उन्होंने स्कूल में चार की जगह 106 बच्चों का दाखिला कराया और 6 लाख रुपए लगाकर स्कूल का विकास करवाया और स्कूल को पीएम श्री योजना में पंजीकृत करवाया। 28 साल की नौकरी में उन्हें कभी कोई नोटिस नहीं मिला, लेकिन द्वेष के चलते उनका नाम शिक्षक सम्मान से हटा दिया गया। हालांकि इस मामले के बाद गाइडलाइन के तहत सरकारी कर्मचारियों की सोशल मीडिया गतिविधियां सरकार की निगरानी में रहेंगी।

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