India News (इंडिया न्यूज),Rajasthan News: मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के लिए नए मुख्यमंत्री तय हो चुके हैं। अब बारी राजस्थान की है। मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव चुने गए तो इससे बिहार को साधने की बात आ रही। लेकिन, राजस्थान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के जाने की चर्चा बिहार में कहीं ज्यादा हो रही है।
3 जगह स्पष्ट बहुमत
2024 लोकसभा चुनाव आने वाला है। इसके पहले 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में 3 जगह स्पष्ट बहुमत के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी। इनमें से 2, छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश के लिए मुख्यमंत्री का नाम तय हो चुका है। मध्य प्रदेश में ‘प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी’ बनाम ‘लाडली बहना’ में जीत गारंटी की हुई।
बिहार में गहमागहमी
अब राजस्थान की बारी है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भूमिका को लेकर बिहार में गहमागहमी है। कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर बिहार की सबसे बड़ी ‘यादव’ आबादी को बीजेपी ने साथ रखने का संदेश दिया है, जबकि बिहार बीजेपी के अंदर सोमवार से ही ज्यादा चर्चा राजनाथ सिंह की हो रही है। क्यों? इसके लिए साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद का सीन याद करना होगा।
नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ा
बिहार विधानसभा चुनाव वर्ष 2020 में भारतीय जनता पार्टी ने (JDU ) के साथ मिलकर जनमत हासिल किया। वही लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान की सेंध के कारण बतौर पार्टी जदयू (JDU ) तीसरे नंबर पर ही। सत्ता हासिल करने वाले गठबंधन में बीजेपी का कद सबसे बड़ा था, जबकि एक पार्टी के हिसाब से सबसे बड़ा राष्ट्रीय जनता दल (JDU ) का कद था। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सरकार बनाने के लिए जनमत मिला था और बीजेपी इसमें मजबूती के साथ उभरी थी तो अंदर से आवाज उठ रही थी कि मुख्यमंत्री बीजेपी का हो।
बीजेपी के अंदर कई तरह की बातें
फिर बात आयी कि एनडीए (NDA ) ने नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ा है, इसलिए उन्हें कायम रखा जाए। बीजेपी को डिप्टी सीएम देना था। सीएम नीतीश कुमार अपने साथ भाजपा के कोटे से पुराने डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी को साथ रखना चाहते थे। लेकिन, बीजेपी के अंदर कई तरह की बातें थीं। एक यादव भी दौड़ में थे और एक दलित भी। लेकिन, सबसे बड़ा नाम सुशील मोदी का था। फैसले के लिए राजस्थान की तरह ही राजनाथ सिंह को अहम जिम्मेदारी सौपी गई।
खुलकर विरोध नहीं
राजस्थान में मुख्यमंत्री का पद फंसा है जबकि इसमें सबसे बड़ा सवाल वसुंधरा राजे सिंधिया को लेकर उठ रहा है। ठीक इसी तरह की स्थिति बिहार में सुशील कुमार मोदी को लेकर थी। मोदी के लिए माहौल बाकायदा तय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बना रहे थे। प्रदेश बीजेपी के अंदर उनका खुलकर विरोध नहीं हो रहा था, जैसे अभी वसुंधरा का खुला विरोध कोई नहीं करना चाह रहा है। तब राजनाथ सिंह पटना पहुंचे।
किस्सा खूब चल रहा
जबकि राजनाथ सिंह ने यहां पर्ची की प्रक्रिया पूरी नहीं की। मुख्यमंत्री आवास का रुख किया तो कुछ देर बाद अंदर से खबर आई कि सुशील मोदी दौड़ से गायब हो गए हैं। बीजेपी के साथ जनादेश लेकर भी नीतीश बाद में महागठबंधन के हो लिए तो कहा गया कि सुशील मोदी के हटने का यह नतीजा है।
बारी राजस्थान की
जबकि अबतक यह बात सामने नहीं आयी कि पर्ची निकालने की बात कहकर बगैर ऐसा कुछ किए सीधे सीएम को अपने पुराने डिप्टी सीएम का मोह छोड़ने को लेकर राजनाथ सिंह ने क्या और कैसे समझाया? आज बारी राजस्थान की है। और, बिहार बीजेपी में ठीक 3 साल पहले का यह किस्सा खूब चल रहा।
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