India News RJ(इंडिया न्यूज़), Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में नाबालिग दलित छात्रा से छेड़छाड़ के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया कि समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के एफआईआर रद्द करने के फैसले को पलट दिया और आरोपी शिक्षक विमल कुमार गुप्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई फिर से शुरू करने का आदेश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2023 का है, जब गंगापुर शहर के एक सरकारी स्कूल में टीचर ने नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ की थी। घटना के बाद छात्रा की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ पॉक्सो और एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था, और पीड़िता का बयान CrPC 164 के तहत रिकॉर्ड किया गया था। बाद में, आरोपी ने 500 रुपये के स्टांप पेपर पर पीड़िता के परिजनों से यह लिखवा लिया कि मामला गलतफहमी में दर्ज कराया गया था और वह अब कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहतीं। पुलिस ने इस समझौते के आधार पर केस को बंद करने की फाइनल रिपोर्ट दी, लेकिन निचली अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील की, जहां हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया। इस निर्णय को समाजसेवी रामजी लाल बैरवा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, और राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए याचिका दाखिल की थी।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें न्यायालय ने साफ किया कि ऐसे मामलों में समझौते के आधार पर एफआईआर को रद्द नहीं किया जा सकता, खासकर जहां पीड़िता नाबालिग हो। इससे पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी।
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