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Tempered Glass डालता है फोन पर बुरा प्रभाव, न करें ये गलतियां

Sameer Saini • LAST UPDATED : September 11, 2021, 7:11 am IST

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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

नया फोन खरीदते ही ज्यादातर लोग उस पर Tempered Glass लगवा लेते हैं ताकि फोन की स्क्रीन को प्रोटेक्ट किया जा सके। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जो ये जानते हैं कि स्क्रीन गार्ड मोबाइल को नुकसान पहुंचाता है। इससे न सिर्फ कॉलिंग में परेशानी आती है बल्कि यूजर्स को ये अहसास होने लगता है कि उनका फोन खराब हो गया है।

स्क्रीन गॉर्ड कैसे डालता है सेंसर पर प्रभाव

  • दरअसल, नए स्मार्टफोन्स में मॉडर्न टच डिस्प्ले दिया जा रहा है, जिसके नीचे की तरफ Ambient Light सेंसर और Proximity सेंसर मौजूद होते हैं। लेकिन जब हम अपने फोन पर स्क्रीनगार्ड लगा लेते हैं तो ये सेंसर ब्लॉक हो जाते हैं और काम करना बंद कर देते हैं। इस कारण फोन कॉल के दौरान स्क्रीन लाइट परेशान करने लगती है, और बात करते करते आपके फोन में कोई दूसरी ऐप खुल जाती है। इसके अलावा ऑन-स्क्रीन फिंगरप्रिंट होने पर स्मार्टफोन अनलॉक करने में दिक्कत आने लगती है। फोन देर में अनलॉक होता है।

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कैसे काम करते हैं Proximity सेंसर

  • जब आप धूप में जाते हैं तो रोशनी के मुताबिक आपके स्मार्टफोन की स्क्रीन लाइट ऑटेमैटिक एडजस्ट हो जाती है। ऐसा Ambient Light सेंसर के कारण होता है। वहीं, अगर फोन किसी कम रोशनी वाली जगह है कि तो अपने आप फोन की लाइट कम हो जाती है। Proximity Mobile सेंसर की बात करें तो जब भी आप फोन को अपने कान के पास लेकर जाते हैं तो उसकी लाइट बंद हो जाती है। यह आपने नोटिस जरूर किया होगा लेकिन आपको यह पता नहीं होगा कि ऐसा क्यों होता है।  यह इसी सेंसर के चलते होता है।

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इस परेशानी से कैसे निकलें बाहर

  • अब कुछ लोगों के मन में सवाल उठ रहा होगा कि ऐसी स्थिति में क्या करें जिससे फोन के सेंसर भी ब्लॉक न हों और डिस्प्ले भी प्रोटेक्टेड रहे? तो जान लीजिए कि ये दिक्कत ज्यादातर उन स्मार्टफोन्स में आती है जिस पर हल्की क्वालिटी का स्क्रीनगार्ड लगा होता है। भारत में इसकी संख्या काफी ज्यादा है। इसलिए एक्सपर्ट्स हमेशा ही एक अच्छी कंपनी का प्रोटेक्टर इस्तेमाल करने के सलाह देते हैं। अब आप जब भी फोन खरीदें तो उसी कंपनी का स्क्रीन प्रोटेक्टर भी खरीद लें। ऐसा इसलिए क्योंकि कंपनियों को पता होता है कि उन्होंने सेंसर कहां लगाया है। इसे ध्यान में रखकर ही कंपनियां प्रोटेक्टर बनाती हैं।

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