India News (इंडिया न्यूज),Cricket World Cup: तस्वीर साफ़ है 19 नवंबर 2023 की डेट लॉक कर लीजिए, विश्वकप फ़ाइनल में भारत का मुक़ाबला ऑस्ट्रेलिया से है। वो ऑस्ट्रेलिया जो 5 बार वर्ल्ड कप जीत चुका है और 8 बार सेमीफ़ाइनल तक का सफ़र तय किया है। कपिल देव को नरेंद्र मोदी स्टेडियम में लॉर्ड्स की बालकनी दिख रही होगी, तो धोनी को वानखेड़े स्टेडियम का मैदान।
1999 के विश्वकप का जिंगल था “कम ऑन इंडिया दिखा दो, दुनिया को हिला दो, थोड़ा सा दिल थोड़ा सा विल ले आओ”। आज रोम रोम दुआ कर रहा है। हिंदुस्तान तुम कर लो दुनिया मुट्ठी में। रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल जैसे बल्लेबाज़ों से लैस भारत की पेस बैट्री भी पूरी तरह चार्ज है। शमी, सिराज, बुमराह की तिकड़ी यक़ीनन ऑस्ट्रेलिया पर भारी पड़ेगी।
टीम इंडिया ने बनने और पकने में वक़्त लिया है। मैंने 1992 विश्वकप के वक़्त क्रिकेट में होश संभाला। ये वो दौर था जब पाकिस्तान इमरान ख़ान की कप्तानी में इंग्लैंड को फ़ाइनल में हरा कर विश्वविजेता बना। सचिन को पदार्पण किए हुए महज़ तीन साल हुए थे और मोहम्मद अज़हरुद्दीन की कप्तानी में टीम इंडिया बस 2-3 जीत से सब्र कर लिया करती थी।
तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर कपिल देव का करियर ढल रहा था और जवागल श्रीनाथ जैसों का उदय हो रहा था। व्यक्तिगत प्रदर्शन होते थे पर ये ‘टीम इंडिया’ नहीं थी। सचिन की बल्लेबाज़ी थी, कुंबले की फिरकी थी, अज़हरुद्दीन का फ्लिक था, जडेजा का विस्फोट था- पर ये टीम इंडिया नहीं थी।
याद कीजिए 1996 का विश्व कप। पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते रहे, लेकिन सेमीफ़ाइनल में श्रीलंका ने पीट दिया। 1996 वर्ल्ड कप सेमीफ़ाइनल की हार ने विनोद कांबली के साथ साथ पूरे देश को रुला डाला था। कोलकाता के ईडन गार्डन में बवाल होते होते रह गया। तब भारत मान बैठा था कि 1983 का इतिहास कभी भी दोहराया नहीं जाएगा।
मेरा मानना है कि भारतीय क्रिकेट में बदलाव की बुनियाद रखने वाले असली कप्तान सौरव गांगुली हैं। गांगुली ने आक्रामक होना सिखाया, चढ़ कर खेलना सिखाया, आंखें तरेर कर मैच जीतना सिखाया। 2003 में गांगुली की कप्तानी में हम कप जीतते जीतते रह गए, लेकिन तब तक सौरव गांगुली ने जीत का चस्का लगा दिया था।
वो सौरव गांगुली ही थे जिन्होंने राहुल द्रविड़ से विकेटकीपिंग करा कर ये बता दिया था कि अब भारतीय क्रिकेट को विकेटकीपर से रन की ज़रूरत है। इस दौर से पहले किरन मोरे, नयन मोंगिया, विजय यादव, पार्थिव पटेल जैसे विकेटकीपर तो थे पर इनके बल्ले से विजयी रन नहीं निकलते थे। सौरव गांगुली ने बतौर कप्तान इंडिया को ‘टीम इंडिया’ बनाया।
लॉर्ड्स की बालकनी में सौरव गांगुली ने टी-शर्ट घुमा कर मानो उद्घोष कर दिया हो कि ‘मेन इन ब्लू’ अब ना तो रुकेंगे, ना झुकेंगे और ना ही थकेंगे। हार के जबड़े से जीत को खींच कर निकालने की ज़िद ने टीम इंडिया को वक़्त के साथ विजेता बना दिया। सौरव गांगुली की लिखी इबारत पढ़ने वाला योद्धा अब तक भविष्य की पतवार संभालने के लिए बेचैन-बेक़रार हो चुका था।
साल 2004 में भारतीय क्रिकेट में एक नए युग का सूत्रपात हुआ। नाम महेंद्र सिंह धोनी, चेहरे पर मुस्कान, कूल रहने का अंदाज़, सुनहरे लंबे बाल, मैदान पर ख़ामोश। उस ज़माने की ख़ामोशी में मानो धोनी कह रहे हों कि मुझ पर भरोसा रखना, मैं कपिल देव वाला इतिहास दोहरा कर रहूंगा। सौरव गांगुली ने ‘टीम इंडिया’ को आक्रामक बनाया तो महेंद्र सिंह धोनी ने इस आक्रामकता को कंट्रोल करने की ट्रेनिंग दी।
भारत के सबसे सफल कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी ने जब 2005 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ विशाखापट्टनम में शतक जमाया तो समूचा भारत झूम उठा। टीम इंडिया ने धोनी के 148 रन की पारी के बदौलत पाकिस्तान को 58 रन से हराया। भारत ने मैच जीता और धोनी ने दिल। इसके बाद तो बस इतिहास और रिकॉर्ड बनते गए। साल 2007 में पाकिस्तान को हरा कर भारत ने टी-20 विश्वकप जीता तो साल 2011 में धोनी की कप्तानी में 28 साल बाद वनडे विश्वकप भारत की झोली में आ गिरा।
बदलते वक़्त के साथ विराट और रोहित शर्मा ने गांगुली-धोनी की विरासत को संभाला। 19 नवंबर को कपिल देव, सुनील गावस्कर, मोहम्मद अज़हरुद्दीन, सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी जैसे महान खिलाड़ी एक बार फिर अपना युग जीना चाहते हैं। ‘सफ़ेद’ से ‘नीली’ जर्सी तक का सफ़र तय करने वाला हर पूर्व कप्तान मानो कह रहा हो “रोहित कप लेकर ही आना”।
मैं क्रिकेट का दीवाना हूं। टीम इंडिया के बदलने की कहानी लिखते लिखते मेरे रोंगटे खड़े हो गए। 140 करोड़ हिंदुस्तानियों में मैं भी एक क्रिकेट फ़ैन हूं। मुझसे वादा कीजिए- वादा कीजिए रोहित, आप धोनी का विश्वकप फिर ले आएंगे। वादा कीजिए शुभमन-श्रेयस आप ऑस्ट्रेलियन गेंदबाज़ों की बखिया उधेड़ेंगे। वादा कीजिए विराट- आप एक बार फिर मेरे हिंदुस्तान को क्रिकेट का सम्राट बनाएंगे।
वादा कीजिए शमी आप कपिल, श्रीनाथ, ज़हीर, पठान जैसे तेज़ गेंदबाजों का सीना चौड़ा करेंगे। वादा कीजिए बुमराह और सिराज- आप विश्वकप जीत कर आएंगे। लिखने का दिल तो बहुत है, अल्फ़ाज़ और विशेषण को बचा कर रखा है। 19 नवंबर की रात फिर कलम चलेगी, रोहित इतिहास लिखना, फिर मैं भी लिखूंगा। मैं लिखूंगा भारत के भाल पर टीम इंडिया की गर्वीली जीत। जीत कर आना, कप लौटा लाना, भारत बेकरार है, जीत का इंतज़ार है।
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