मनोज जोशी, नई दिल्ली :
Exclusive Interview with Rohit Rajpal : भारतीय डेविस कप टीम के कप्तान रोहित राजपाल ने कहा है कि गुरुवार से भारतीय टीम का कैम्प शुरू हो गया है। सभी खिलाड़ी अच्छी लय में है और सभी फिट हैं। हमारी कोशिश यही है कि इन खिलाड़ियों को दिल्ली जिमखाना के ग्रास कोर्ट पर अच्छा खासा अभ्यास मिले क्योंकि ये खिलाड़ी एडिलेड के बाद पुणे में महाराष्ट्र ओपन और बैंगलुरू ओपन में पिछले दिनों भाग लेते रहे हैं और उसके बाद दुबई होते हुए ये खिलाड़ी यहां पहुंचे हैं।
हालांकि इन सब आयोजनों पर उन्हें घास पर खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन अब यह कैम्प परीक्षा से पहले की आखिरी तैयारी की तरह है। भारतीय टीम को डेनमार्क से 4 और 5 मार्च को डेविस कप ग्रुप 1 का प्लेऑफ मुक़ाबला खेलना है। रोहित खुद भी डेविस कप खिलाड़ी रह चुके हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में लगे कैम्प में खिलाड़ियों को अपनी तैयारियों को परखने का अच्छा मौका मिलेगा। हम इन दिनों कंडीशंस के हिसाब से दिल्ली जिमखाना के कोर्ट पर अभ्यास कर रहे हैं। इससे हमें यह भी अहसास हो जाएगा कि यहां का ग्रासकोर्ट किस तरह से खेल रहा है और हमें उसके अनुकूल अपनी किस तरह की रणनीति बनानी है।
डेनमार्क के टॉप खिलाड़ी होल्गर रूने ने पिछले दिनों इस मुक़ाबले से नाम वापिस ले लिया है। इस बारे में रोहित ने कहा कि वह दोनों टीमों में सबसे ऊंची रैंकिंग का खिलाड़ी है लेकिन उनके भाग न लेने से राहत की सांस लेना उचित नहीं है। एक प्लेयर के लिए ऐसी सोच भी ठीक नहीं है। यह एक नकारात्मक सोच है। हम उनकी मौजूदगी में भी जीत के लिए सौ फीसदी प्रयास करते और मुझे विश्वास है कि टीम के हमारे खिलाड़ी भी हमें निराश नहीं करते।
वैसे इसके बावजूद हम डेनमार्क की चुनौती को हल्के से नहीं ले रहे। उनकी टीम में डबल्स के बेहतरीन खिलाड़ी फ्रेडरिक नीलसन मौजूद हैं जो कई साल पहले विम्बलडन का डबल्स खिताब जीत चुके हैं। ज़ाहिर है कि वह ग्रासकोर्ट के बेहतरीन खिलाड़ी हैं। उनकी घास पर खेलने की क्षमताएं गज़ब की हैं और मेरा विश्वास है कि इस बार डबल्स में ज़बर्दस्त मुक़ाबला देखने को मिल सकता है क्योंकि हमारे रोहन बोपन्ना भी किसी से कम नहीं हैं। नीलसन की घास पर खेलने की क्षमताओं को देखते हुए ऐसा सम्भव है कि उन्हें डबल्स ही नहीं, सिंगल्स में भी उतारा जा सकता है, जो काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा।
रोहित कहते हैं कि आज घास पर दुनिया भर में बहुत कम टूर्नामेंट होते हैं। विम्बलडन के अलावा दुनिया भर में तीन-चार टूर्नामेंट ही अब घास पर रह गये हैं। किसी भी मेजबान टीम के कप्तान और कोच को यह अधिकार होता है कि टीम के हितों को ध्यान में रखते हुए वह तय करें कि उन्हें किस सतह पर खेलना है।
हम घास पर ही खेलते हुए बढ़े हुए हैं। हमने यही स्ट्रैटजी बनाई थी कि अपने खिलाड़ियों को डेविस कप से पहले ज़्यादा से ज़्यादा टूर्नामेंटों में भाग लेने का मौका दिया जाये जिससे वे अच्छी लय में रहें और फिर कैम्प में उन्हें कंडीशंस का अधिकतम फायदा उठाने का मौका दिया जाये। इस सबके बावजूद मैं मानता हूं कि डेनमार्क के खिलाफ हमारा मुक़ाबला मुश्किल है लेकिन भारत ही फेवरेट है क्योंकि हमें अपनी कंडीशंस और सतह का फायदा मिलेगा।
पिछले दो वर्ष काफी चुनौतीपूर्ण रहे हैं कोविड की वजह से। इस बारे में रोहित राजपाल ने कहा कि इस दौरान सबकी रैंकिंग भी नीचे चली गई। हमारे खिलाड़ियों को टूर्नामेंट खेलने का मौका नहीं मिल पाया जबकि यूरोप में उस दौरान फिर भी कुछ टूर्नामेंट हो रहे थे। इसी अभ्यास की कमी हमें फिनलैंड के खिलाफ महंगी साबित हुई थी। दूसरे, किस्मत ने भी हमारा साथ नहीं दिया।
क्रोएशिया के खिलाफ मैच के बारे में उन्होंने कहा कि क्रोएशिया तीन बार की चैम्पियन टीम है। जब हम उनसे हारे तो उस वर्ष भी उसने फाइनल तक अपनी चुनौती रखी थी। मुझे खुशी है कि हमारे खिलाड़ियों ने उन्हें मुश्किल चुनौती दी। यहां तक कि रामकुमार रामनाथन के पास दो सेट पॉइंट भी थे लेकिन हमारी बदकिस्मती थी कि हम वह मुक़ाबला हार गये। रोहित ने कहा कि उन दो मुक़ाबलों में भारत की हार से हमने बहुत बड़ा सबक सीखा। हमारी कोशिश होगी कि हम उन ग़लतियों को इस बार न दोहराएं।
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