India News (इंडिया न्यूज), Olympics: भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ओलंपिक में एक बार फिर इतिहास रच दिया, जब उसने पेरिस खेलों में स्पेन को 2-1 से हराकर कांस्य पदक जीता। टोक्यो में कांस्य पदक जीतने के बाद भारत पेरिस में भी तीसरे स्थान पर रहा। 1972 ओलंपिक के बाद यह पहला मौका है जब भारत ने ओलंपिक में लगातार दो पदक जीते हैं। भारत ने 1968 और 1972 ओलंपिक में कांस्य पदक जीते थे। जीत के बाद भारतीय कप्तान हरमनप्रीत ने स्वर्ण पदक न जीत पाने के लिए देश से माफ़ी मांगी। बता दें भारत सेमीफाइनल में जर्मनी से हार गया था।
हरमनप्रीत सिंह ने कांस्य पदक जीतने के बाद कहा कि “एक खेल के रूप में हॉकी का भारत में समृद्ध इतिहास रहा है। हम उस विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। मेरा सभी से अनुरोध है कि ‘कृपया हॉकी का अधिक से अधिक समर्थन करें’। और मैं हर भारतीय से वादा करता हूं कि हम कड़ी मेहनत करेंगे और अगले ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन करेंगे,” ।
“भारतीय हॉकी आगे बढ़ रही है और हम किसी को भी हरा सकते हैं। मैं कहना चाहता हूँ, मुझे खेद है। टोक्यो में कांस्य पदक जीतने के बाद हम इस बार स्वर्ण पदक जीतना चाहते थे। हम स्वर्ण पदक जीतने के लिए काफी अच्छे थे, लेकिन किस्मत हमारे पक्ष में नहीं थी। आप किस्मत को अनदेखा नहीं कर सकते।”
कप्तान हरमनप्रीत सिंह के दो गोल की मदद से भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने तीसरे स्थान के मैच में स्पेन पर 2-1 से जीत दर्ज की और गुरुवार को ओलंपिक खेलों में लगातार दूसरा कांस्य पदक जीता।
इस तरह अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश को खेल को अलविदा कहने के साथ ही यादगार विदाई मिली। टोक्यो ओलंपिक खेलों की कांस्य पदक विजेता भारतीय टीम दूसरे क्वार्टर में पेनल्टी स्ट्रोक पर मार्क मिरालेस द्वारा किए गए गोल से पीछे चल रही थी, लेकिन भारत ने 29वें मिनट और 33वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर पर दो गोल करके शानदार वापसी की और 52 वर्षों में ओलंपिक में अपना दूसरा लगातार कांस्य पदक जीता। भारत ने इससे पहले 1968 और 1972 के खेलों में कांस्य पदक जीते थे।
इस पदक के साथ ही भारत ने ओलंपिक खेलों में हॉकी में 13 पदक जीते हैं, जिसमें आठ स्वर्ण, एक रजत और चार कांस्य पदक शामिल हैं। इससे ओलंपिक में हॉकी में भारत का सबसे सफल देश होने का दर्जा और बढ़ गया है।
पेरिस ओलंपिक खेलों में यह भारत का चौथा पदक है, जिसमें सभी कांस्य पदक शामिल हैं। इसके अलावा निशानेबाजी में भी तीन पदक जीते हैं। हरमनप्रीत सिंह ने दो गोल किए, लेकिन गोलकीपर श्रीजेश ने इसे संभव बनाया। वह जिब्राल्टर की चट्टान की तरह खड़े रहे और स्पेनियों के बराबरी के प्रयास को विफल कर दिया।
भारत के लिए कई चिंताजनक क्षण आए, क्योंकि स्पेन ने कुल नौ पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए, लेकिन वे किसी को भी गोल में नहीं बदल पाए। दूसरी ओर भारत ने छह पेनल्टी कॉर्नर अर्जित किए और उनमें से दो को गोल में बदला। भारत ने अंतिम 5-6 मिनट में बहादुरी से बचाव किया और स्पेनिश टीम को विफल करने के लिए कई बार अपने शरीर को जोखिम में डाला।
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