India News (इंडिया न्यूज): भारत वैश्विक खेल परिदृश्य में अपनी स्थिति को मज़बूत करते हुए जल्द ही ओलंपिक की शीर्ष 10 रैंकिंग में शामिल हो सकता है। कॉमनवेल्थ गेम्स फेडरेशन की सीईओ केटी सैडलर ने यह बात द टाइम्स ग्रुप ET NOW ग्लोबल बिजनेस समिट 2025 के दूसरे दिन कही।

सैडलर ने कहा, “भारत का खेल क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है। सही नेतृत्व, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और लोगों की खेलों के प्रति बढ़ती रुचि के कारण भारत ओलंपिक की शीर्ष 10 देशों की सूची में जल्द ही जगह बना सकता है।”

खेलों से बढ़ती वैश्विक साख

लुसियानो रॉसी, इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन (ISSF) के अध्यक्ष के साथ “क्राफ्टिंग द चैंपियन माइंडसेट: हाउ स्पोर्ट्स शेप नेशंस” सत्र में बोलते हुए सैडलर ने कहा कि खेल न केवल राष्ट्रीय छवि को संवारने का काम करते हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर देश की प्रतिष्ठा को भी मज़बूत बनाते हैं।

सैडलर ने कहा “खेल किसी भी देश की साख बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक स्पोर्टिंग पावरहाउस के रूप में पहचान बनाना किसी भी राष्ट्र के लिए गौरव की बात होती है,” । उन्होंने भारत के विश्व स्तरीय खेल बुनियादी ढांचे की सराहना करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया। “यहां राजनीतिक समर्थन और जनता का जुनून अद्भुत है। भारत में खेलों को लेकर सकारात्मक माहौल है,” उन्होंने कहा।

2036 ओलंपिक की मेजबानी की ओर भारत?

भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए अपनी दावेदारी पेश करने की योजना बना रहा है। इस संदर्भ में सैडलर का मानना है कि बड़े टूर्नामेंटों की सफल मेजबानी से भारत की वैश्विक स्थिति को और मज़बूती मिलेगी और भारतीय एथलीटों को शीर्ष स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक ठोस आधार मिलेगा। उन्होंने कहा, “ऐसे आयोजनों से भारत की वैश्विक पहचान और मज़बूत होगी। यदि भारत 2030 में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी करता है, तो यह ओलंपिक की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।”

भारत में शूटिंग खेलों का बढ़ता प्रभाव

ISSF अध्यक्ष लुसियानो रॉसी ने भी वैश्विक खेल परिदृश्य में भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भारत में जूनियर वर्ल्ड कप की मेजबानी दिल्ली में होने जा रही है, जो भारत की खेल यात्रा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा। रॉसी ने कहा, “भारत केवल दिल्ली ही नहीं, भोपाल में भी खेलों को लेकर गंभीर प्रयास कर रहा है। यह देश के खेल भविष्य को लेकर मजबूत प्रतिबद्धता दर्शाता है।”

महिला खिलाड़ियों को समान अवसर देने की दिशा में प्रयास

रॉसी ने ISSF के लैंगिक समानता को लेकर किए जा रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पुरुषों और महिलाओं को एक साथ प्रतिस्पर्धा करने के अवसर मिलने से खेल की नई परिभाषा गढ़ी जा सकती है।

“हम देखना चाहते हैं कि जब पुरुष और महिलाएं साथ में प्रतिस्पर्धा करें, तो परिणाम कैसे आते हैं। खेलों में अधिक महिलाओं की भागीदारी हमारी प्राथमिकता है और ISSF इस दिशा में कड़ी मेहनत कर रहा है,” रॉसी ने कहा।

खेल प्रबंधन और देश की छवि

दोनों विशेषज्ञों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मजबूत खेल प्रशासन किसी भी देश की वैश्विक प्रतिष्ठा को आकार देने में अहम भूमिका निभाता है। सैडलर ने कहा, “एक देश की वैश्विक छवि खेल प्रशासन की सही नीतियों, फैसलों और नेतृत्व पर निर्भर करती है।” रॉसी ने खेल आयोजनों के कूटनीतिक और आर्थिक लाभों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती हैं, भले ही दुनिया में राजनीतिक संघर्ष क्यों न चल रहे हों। उन्होंने कहा “दुनिया में कई जगह युद्ध हो रहे हैं, लेकिन खेलों में प्रतिस्पर्धा देशों के बीच संवाद और सद्भाव बढ़ाने में मदद कर सकती है,” ।

भारत के खेल बुनियादी ढांचे में हो रहे सुधार और सरकार की मजबूत नीतियों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि देश आने वाले वर्षों में खेलों की दुनिया में नई ऊंचाइयों को छू सकता है। ओलंपिक की शीर्ष 10 सूची में भारत का प्रवेश न केवल खिलाड़ियों के लिए बल्कि देश की वैश्विक प्रतिष्ठा के लिए भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।