India News (इंडिया न्यूज), Paris Paralympics 2024: एक बार फिर से भारत के खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत और मशक्क्त से इतिहास रचा और देश को गर्व महसूस कराया। आपको बता दें पैरालंपिक 2024 के दूसरे दिन भारत ने कुल चार पदक जीत कर इतिहास रच दिया। इनमें एक स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य शामिल हैं। इसी बीच पैरा शूटर मोना अग्रवाल ने 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में 228.7 का स्कोर बनाकर तीसरा स्थान हासिल किया और भारत को कांस्य पदक दिलाकर इतिहास रचा । यह दिन उनके लिए काफी यादगार रहा। इसी बीच मोना ने भावुक होकर अपने दिल की बात कही , आइए जान लेते हैं मोना ने क्या कहा ?

  • बच्चों से दूर रहीं मोना
  • इन संकटों का करना पढ़ा था सामना

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बच्चों से दूर रहीं मोना

मोना ने भावुक होकर बताया कि उनके बच्चे वीडियो कॉल पर मासूमियत से यह समझते थे कि वो घर वापस आने का रास्ता भूल गई हैं और उन्हें वापस लौटने के लिए जीपीएस की मदद लेनी होगी। पैरा शूटर खिलाड़ी ने कहा कि जब मैं अभ्यास के लिए जाती थी तो अपने बच्चों को घर पर छोड़ना पड़ता था। इससे मेरा दिल दुखता था। मैं हर दिन उन्हें वीडियो कॉल करती थी और वो मुझसे कहते थे, ‘मम्मा आप रास्ता भूल गई हो, जीपीएस पर लगा के वापस आ जाओ’। उन्होंने नम आँखों के साथ कहा कि मैं अपने बच्चों से बात करते समय हर शाम रोती थी, उनका कहा था वो रोज अपने बच्चो से बात करके कमजोर महसूस करती थी इसीलिए उन्होंने सप्ताह में एक बार फोन करना शुरू कर दिया।इतनी मुश्किलों का सामना कारणकरने के बाद भी उन्होंने देश को विश्व में नै पहचान दी ।

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इन संकटों का करना पढ़ा था सामना

मोना ने 37 वर्ष की उम्र में इतिहास रचा । लेकिन इस कामयाबी के पीछे बहुत कुछ ऐसा छिपा है जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे । दरअसल, मोना काफी समय तक स्वर्ण पदक की दौड़ में बनी हुई थी, लेकिन भारत की अवनि लेखरा ने इस पर कब्जा जमाया और उन्हें पीछे कर दिया । लेकिन इस बार जीत हासिल करने के बाद मोना ने संघर्ष के दिनों को याद किया। उन्होंने कहा- वो मेरा सबसे मुश्किल वक्त में से एक था, इसके अलावा उन्हें आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया कि, मैंने यहां तक पहुंचने के लिए वित्तीय तौर पर काफी संघर्ष किया है। मैं आखिरकार सभी संघर्षों और बाधाओं से पार पाकर पदक हासिल करने में सक्षम रही। मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है।

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