राजकुमार शर्मा
ओवल में खेले जा रहे चौथे क्रिकेट टेस्ट में मैं सोच रहा था कि टीम इंडिया इस मैच में रविचंद्रन अश्विन को जरूर खिलाएगी लेकिन टीम प्रबंधन के अश्विन को न खिलाये जाने के फैसले से मुझे भी हैरानगी हुई। सम्भव है कि टीम प्रबंधन को लगा होगा कि स्पिनरों को इस विकेट पर उतनी मदद न मिले। वैसे भी टीम में रवींद्र जडेजा के रूप में आॅलराउंडर मौजूद हैं। इंग्लैंड में रन बनाना वास्तव में काफी मुश्किल है। खासकर भारतीय उपमहाद्वीप के बल्लेबाजों को वहां मुश्किल होती है। वहां की स्विंग और सीमिंग कंडीशंस भारतीय बल्लेबाजों के लिए चुनौती बनती हैं। ये ऐसी स्थितियां हैं जहां आप कभी आरामदायक स्थिति में नहीं रह सकते जबकि भारत में 25 से 30 रन बनाने के बाद बल्लेबाज पहले हाफ सेंचुरी की ओर और फिर सेंचुरी बनाने पर ध्यान देते हैं और उसमें सफल भी होते हैं लेकिन इंग्लैंड में कभी रिलेक्स नहीं सकते। यही वजह है कि पिछले वर्षों में हम जितनी भी सीरीज इंग्लैंड में हारे हैं, उनमें हमारी बल्लेबाजी हार का बड़ा कारण साबित हुई। इंग्लैंड में कंडीशंस बड़ा अंतर साबित करती हैं। अगर बादल आते हैं तो गेंद स्विंग होने लगती है और जब बादल छंटते हैं तो स्थितियां बिल्कुल अलग हो जाती हैं जबकि आॅस्ट्रेलिया में स्थितियां अलग हैं। वहां उछाल चुनौती होता है जहां गेंद बल्ले पर आती है। इस समस्या का हल यही है कि भारतीय खिलाड़ी ज्यादा से ज्यादा काउंटी क्रिकेट खेलें जिससे वहां की कंडीशंस में अभ्यस्त होने का मौका मिल सके। भारत में हम चाहकर भी इंग्लैंड जैसी कंडीशंस तैयार नहीं कर सकते। वहीं यह भी सच है कि बहुत ज्यादा क्रिकेट होने और आईपीएल के आयोजन की वजह से काउंटी क्रिकेट खेलने का हमारे खिलाड़ियों के पास ज्यादा वक्त नहीं है। फिर भी मैं कहूंगा कि इंग्लैंड में अच्छा प्रदर्शन करना है तो खासकर
हमारे बल्लेबाजों को वहां काउंटी क्रिकेट खेलने के लिए वक्त निकालना चाहिए।
इंग्लैंड में शॉट खेलने के लिए समय लेना चाहिए यानी शॉट देरी से खेलना चाहिए। साथ ही वहां शरीर के नजदीक खेलना बेहतर विकल्प है। जितना शरीर से दूर खेलोगे, उतनी मुश्किलें बढ़ेंगी। स्विंग और सीम वहां परेशानी खड़ी कर सकती हैं। इस स्विंग का सामना करने के लिए बल्लेबाज कभी कुछ आगे तो कभी कुछ पीछे खेलने के प्रयोग कर चुके हैं। यहां मैं खासकर जेम्स एंडरसन की तारीफ करूंगा क्योंकि वह वहां की कंडीशंस का बहुत अच्छा इस्तेमाल करते हैं। जहां तक विराट कोहली का सवाल है, वह जानते हैं कि उनसे कहां गलती हो रही है और वह उस गलती को दोहराये न जाने की कोशिश भी करते हैं। मुझे विश्वास है कि विराट इस समस्या से जल्दी ही निजात पाने में सफल हो सकेंगे।
(लेखक विराट कोहली के कोच होने के अलावा द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता हैं)
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